नई दिल्ली। पाकिस्तान ने सोमवार को एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल को इस्लामाबाद आमंत्रित किया है ताकि करतारपुर समझौते को अंतिम रूप दिया जा सके। दो महीने पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी। यह कॉरिडोर सिक्खों के पवित्र स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर को भारत के डेरा बाबा नानक से जोड़ता है। विदेश मंत्रालय के दफ्तर के अनुसार पाकिस्तान ने सिख यात्रियों के लिए समझौते के मसौदे को दोनों सरकारों के साथ साझा किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘नवंबर 2019 में बाबा गुरु नानक की 550वीं जयंती के अवसर पर पीएम इमरान खान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर खोलने की प्रतिबद्धता के साथ पाकिस्तान ने समझौते के मसौदे को पाकिस्तान और भारत के साथ साझा किया है। जिसके तहत सिख यात्रियों को करतारपुर के नरोवाल में स्थित दरबार साहिब की यात्रा भारत में स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग के जरिए करनी होगी।’
मंत्रालय के दफ्तर ने आगे कहा, ‘पाकिस्तान ने अपनी तरफ से मसौदे को अंतिम रूप देने के लिए दक्षिण एशिया और सार्क के महानिदेशक को केंद्रीय व्यक्ति के तौर पर नियुक्त किया है। उसने भारत सरकार से एक प्रतिनिधिमंडल को तुरंत इस्लामाबाद बातचीत करने और मसौदे को फाइनल करने के लिए भेजने को कहा है।’ हालांकि विदेश मंत्रालयों के सूत्रों का कहना है कि उन्हें आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। पाकिस्तानी प्रस्ताव के अनुसार इस्लामाबाद ने भारतीय सिक्खों को 15-15 सदस्यों के समूह में कॉरिडोर से जाने की इजाजत दी है। पड़ोसी देश का कहना है कि वह एक दिन में 500 से ज्यादा श्रद्धालुओं को परमिट जारी नहीं करेगा। इससे पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से करतारपुर कॉरिडोर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए पासपोर्ट की शर्त खत्म करने की मांग की थी। कैप्टन ने कॉरिडोर के आसपास बनाए जाने वाले बुनियादी ढांचे और सड़कों को जल्द अंतिम रूप देने के लिए मोदी सरकार से आग्रह किया था। ताकि इस ऐतिहासिक कॉरिडोर को अमल में लाने के लिए बिना किसी और देरी के जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो सके। उन्होंने पत्र में मुख्यमंत्री ने रिवायती सिख अरदास के मद्देनजर श्री करतारपुर साहिब गुरुद्वारे के ‘खुले दर्शन’ की सुविधा के लिए साधारण प्रक्रिया अपनाने की विनती की थी।
