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पार्सल कर्मचारी ने घरवालों का फोन न उठाकर सीएसटी में बचाई थीं 36 जानें

मुंबई। आज से ठीक 10 साल पहले कभी न रुकने वाली मुंबई आतंकी हमलों से दहल गई थी। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी में घुसकर 60 घंटे तक जो हैवानियत दिखाई थी उसे याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। सबसे ज्यादा तबाही मुंबई के सीएसटी स्टेशन में हुई जहां करीब 58 लोग मारे गए थे। उस समय यहां कार्यरत पार्सल कर्मचारी और वर्तमान में सियोन कोलिवाड़ा क्षेत्र से विधायक कैप्टन आर तमिल सेल्वन ने भी अपनी आंखों से दहशत के उस मंजर को देखा था और करीब घायलों को अस्पताल पहुंचाया था। उस दिन को याद करते हुए सेल्वन बताते हैं, ‘उन लोगों ने रेलवे कर्मचारी हों या पैसेंजर उन्होंने किसी के बारे में कुछ नहीं सोचा। उनका सिर्फ एक ही मिशन था कि सबको खत्म करो। मैं उस समय रेलवे में कर्मचारी था। पार्सल ऑफिस में बैठता था। 26 नवंबर के दिन एक पटाखे फूटने जैसी आवाज आई। मैं उस समय अपने वर्कर को पगार दे रहा था। मैंने उनसे पूछा कि मैंने पटाखे की आवाज सुनी। कोई रिटायर हुआ है क्या, क्या उसी का कोई फंक्शन चल रहा है क्या? वो भी हॉल के अंदर रेलवे स्टेशन के अंदर मेन एरिया में।’
वह आगे बताते हैं, ‘मेरे वर्कर बाहर गए और चिल्लाते हुए वापस आए। उन्होंने मुझे बताया कि दो आदमी जनता के ऊपर डायरेक्ट बंदूक चला रहे हैं, सेठ जी आप निकल जाओ।’ उन्होंने बताया, ‘मैंने देखा कि वहां किसी पार्टी का बोर्ड था। बोर्ड का इस्तेमाल कसाब ने शील्ड के रूप में किया था। उसने ऐसा बंदोबस्त किया था कि पीछे से उसे कोई मार नहीं सकता था और वह आगे की ओर गोली चला रहा था।’ उन्होंने बताया, ‘दूसरे आदमी के पास ग्रेनेड थे और वह उसे हॉल में फेंक रहा था। इसी दौरान मैंने एक आरपीएफ के जवान को देखा जो पार्सल ऑफिस के बगल से अंदर आने की कोशिश कर रहा था, जहां से स्टेनगन की आवाज सुनी जा सकती है। उसे एक डायरेक्ट बुलेट लगी। उसने न कोई आवाज की, न चिल्लाया, उसकी मौके पर ही मौत हो गई।’ सेल्वन ने बताया, ‘उन लोगों ने फायरिंग शुरू करके करीब 20 से 22 मिनट तक गोलीबारी की। इसके बाद कम से कम 4-5 पुलिसवालों ने उन पर हमला करना शुरू किया होगा। उनके पैर में गोली लगी और वह गिर गए। मैं पोर्टर की गाड़ी से उन पुलिसवालों को लेकर अस्पताल गया और उन्हें भर्ती कराया।’ उन्होंने कहा, ‘मैं नजदीक से खड़े होकर लोगों को तकलीफ में देख रहा था। किसी के घुटने में बुलेट लगी थी तो किसी की छाती में, वे चल नहीं सकते थे और बचाओ-बचाओ की आवाज लगा रहे थे। मैं उनकी मदद करना चाहता था और बचाना चाहता था। मैंने एक को हाथ से पकड़कर खींचा और उन्हें मेरे बगल में खड़ी गाड़ी में लेकर आया। इसके बाद मेरे कर्मचारी भी मदद के लिए आगे आए।’
उन्होंने बताया, ‘उसके बाद रेलवे अधिकारी भी आए। मुझे याद है कि एक रेलवे सफाई कर्मी, स्टेशन में शौचालय और हॉल की सफाई का काम करता था। मैं उन्हें 15 20 साल से जानता था। वह और उनका बच्चा साफ सफाई करने के बाद उधर ही बैठे थे और फिर कभी नहीं उठे। यह घटना मुझे आज भी डरा देती है जितनी बार मैं सीएसटी जाता हूं, मुझे वही सब याद आता है।’ वह आगे कहते हैं कि वह तो रेलवे में ही मेहनत करके उसी में कमाई करके वहीं खाता था। एकदम गरीब आदमी था। उसने क्या गुनाह किया कि गोली चला दी। उन्होंने बताया, ‘हमला शुरू होने के करीब 10 मिनट बाद टीवी में फ्लैश आया कि फायरिंग है। मुंबई में मेरा परिवार है। न्यूज में लाश देखकर उन्होंने मेरे मोबाइल में कई बार कॉल की यह जानने के लिए मैं कहां हूं। मैंने फोन अटेंड नहीं किया। मुझे लगा कि अगर मैं फोन अटैंड कर लेता तो किसी को बचाने में देरी हो सकता था। उन्हें संदेह हुआ कि क्या मैं भी सीएसटी में दूसरे कर्मचारियों के साथ मारा गया।’ वह कहते हैं, ‘जनता की सेवा करना ही मेरा काम है, चाहे मैं विधायक रहूं या न रहूं। मैं आखिरी सांस तक उनकी सेवा करता रहूंगा। बता दें कि मुंबई हमले में भारतीय जवानों ने बहादुरी दिखाई और आतंकियों को नाकों चने चबवा दिए। 10 आतंकियों में से 9 मार गिराए गए जबकि एकमात्र जिंदा आतंकी अजमल कसाब को पकड़ लिया गया जिसे 2012 में फांसी दे दी गई।

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