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आज फिर खुलेंगे सबरीमाला के द्वार, किले में तब्दील हुआ भगवान अय्पपा का मंदिर

तिरुवनंतपुरम। भगवान अयप्पा का मंदिर सोमवार शाम को एक बार फिर से मासिक पूजा के लिए खुलेगा। इससे पहले मंदिर के बाहर इतनी कड़ी सुरक्षा की गई है कि परिसर किले में तब्दील नजर आ रहा है। सबरीमाला मंदिर में पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद झड़प की स्थिति बन गई थी, जब मासिक धर्म की आयु की कई महिलाओं ने प्रवेश की कोशिश की थी। हालांकि ये सभी प्रयास असफल रहे थे और धार्मिक संगठनों ने महिलाओं को सबरीमाला में प्रवेश से रोक दिया था। अधिकारियों ने बताया कि 2300 पुलिसकर्मियों को मंदिर के आसपास तैनात किया गया है, जिनमें 20 सदस्यीय कमांडो टीम और 100 महिलाएं शामिल हैं।
इससे पहले रविवार शाम तक इरुमेली पहुंचे श्रद्धालुओं को सुबह पांबा और शनिधानम नहीं जाने दिया गया। इससे गुस्साए श्रद्धालुओं ने ‘अयप्पा शरणम’ के नारे लगाते हुए ट्रैफिक ब्लॉक कर दिया। इस रोक से गुस्साए एक श्रद्धालु ने कहा, ‘हम पिछली रात से इंतजार कर रहे हैं। हमें बताया गया था कि सुबह 6 बजे जाने की अनुमति दी जाएगी। अब हमें यह बताया जा रहा है कि केरल स्टेट रोडवेज की बसों को दोपहर 12 बजे के बाद जाने की परमिशन दी जाएगी। हम भगवान अयप्पा की पूजा करने के लिए आए हैं। हमें जाने दिया जाना चाहिए।’ गौरतलब है कि हिंदू संगठनों ने मीडिया संगठनों से इस मुद्दे को कवर करने के लिए महिला पत्रकारों को न भेजने की अपील की है। वीएचपी और हिंदू ऐक्यवेदी समेत दक्षिणपंथी संगठनों के संयुक्त मंच सबरीमाला कर्म समिति ने यह अपील जारी की है।
एक श्रद्धालु ने कहा कि यदि निजी वाहनों को जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है तो फिर उन्हें रोजवेज बसों से ही जाने देना चाहिए। इसके अलावा मीडियाकर्मियों को भी निलक्कल से पांबा और शनिधानम यानी मंदिर परिसर के लिए जाने नहीं दिया जा रहा है। हालांकि डीजीपी लोकनाथ बेहरा ने कहा कि मीडियाकर्मियों के जाने पर किसी तरह की रोक नहीं है। उन्होंने कहा, ‘मीडिया को जरूरी सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से उन्हें हम अभी जाने नहीं दे रहे हैं। सुरक्षा के इंतजाम पूरे होते ही मीडिया के लोगों को सबरीमाला और आसपास की जगहों पर जाने की परमिशन दी जाएगी।’ मंदिर परिसर में 50 साल से अधिक आयु की 15 महिलाओं को तैनात किया गया है। मंदिर सोमवार को शाम पांच बजे विशेष पूजा ‘श्री चितिरा अट्टा तिरूनाल’ के लिए खुलेगा और उसी दिन रात 10 बजे बंद हो जाएगा। तंत्री कंडारारू राजीवारू और मुख्य पुजारी उन्नीकृष्णन नम्बूदिरी मंदिर के कपाट संयुक्त रूप से खोलेंगे और श्रीकोविल (गर्भगृह) में दीप जलाएंगे। इसके बाद 17 नवंबर से तीन महीने लंबी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए दर्शन के लिए फिर से खोला जाएगा।

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