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मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा सुन रही विशेष अदालत फिर भंग

इस्लामाबाद। पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देश द्रोह के मुकदमे की सुनवाई कर रही लाहौर उच्च न्यायालय की एक पीठ बुधवार को फिर भंग हो गयी क्योंकि मुख्य न्यायाधीश यावर अली सेवानिवृत्त हो गए हैं। न्यायमूर्ति अली तीन सदस्यीय पीठ का नेतृत्व कर रहे थे जिसमें न्यायमूर्ति मजहर अकबर एवं न्यायमूर्ति ताहिरा सफदर भी शामिल हैं। जनरल (सेवानिवृत्त) मुशर्रफ (75 वर्ष आयु) मार्च 2016 से दुबई में रह रहे हैं। उन पर 2007 में संविधान को निलंबित करने को लेकर देशद्रोह का मुकदमा चल रहा है। इस मामले में मुशर्रफ अभ्यारोपित हो चुके हैं तथा यह एक दंडनीय अपराध है। देशद्रोह के गंभीर आरोप सिद्ध होने पर दोषी को मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास की सजा मिलती है। पूर्व सैन्य प्रमुख मुशर्रफ चिकित्सा उपचार के लिए दुबई गये थे तथा सुरक्षा एवं स्वास्थ्य कारणों का हवाला दे कर वापस नहीं आये। अदालत ने पिछले सप्ताह एक उच्च स्तरीय न्यायिक आयोग गठित करने का आदेश दिया था। यह आयोग देशद्रोह मामले में दुबई जाकर मुशर्रफ का बयान दर्ज करेगा। इससे पहले पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये अदालत के समक्ष उपस्थित होने से मना कर दिया था। इससे पूर्व वाली पीठ 30 मार्च 2018 में तब भंग कर दी गयी जब मुशर्रफ के वकील द्वारा आपत्ति जताये जाने के बाद न्यायमूर्ति यह्या अफरीदी ने खुद को मामले से अलग कर लिया था। मुशर्रफ ने 1999 से 2008 के बीच पाकिस्तान पर शासन किया था। उन्हें बेनजीर भुट्टो हत्या मामले एवं लाल मस्जिद धर्म गुरुओं को मारने के मामले में भगोड़ा घोषित किया गया है।

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