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दुनिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था भारत में हैं ये 10 सबसे प्रदूषित शहर

नई दिल्ली। एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला चीन पहले धुंध से भरे आसमान से भरा रहता था। मगर इन दिनों उसका पड़ोसी देश भारत प्रदूषण से एक लंबी लड़ाई लड़ रहा है। दक्षिण एशिया का यह देश दुनिया के 10 प्रदूषित शहरों का घर है। भारत की राजधानी नई दिल्ली के बाहर कुसुम मलिक तोमर को दुनिया की सबसे प्रदूषित हवा में सांस लेने की निजी और आर्थिक कीमत पता चल गई थी। 29 साल की उम्र में उन्हें पता चल गया था कि प्रदूषण की वजह से उनके फेफड़ों में कैंसर बढ़ रहा है। उनके पति विवेक को उनका इलाज करवाने के लिए जमीन बेचनी पड़ी। उन्होंने परिवारवालों से पैसे उधार लिए। उनकी जमापूंजी धीरे-धीरे खत्म हो गई। तोमर ने कहा, ‘सरकार देश की आर्थिक बढ़ोतरी के बारे में सोच रही है लेकिन लोग बीमारियों से मर रहे हैं या बीमारियों से पीड़ित हैं।’

तोमर ने सवाल पूछते हुए कहा, ‘आप आर्थिक तौर पर कैसे बढ़ सकते हैं, जब आपके अपने देश में, आपके नागरिक वायु प्रदूषण की वजह से आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं?’ भारत को चीन की तरह प्रदूषण घटाने के लिए साथ मिलकर काम करना होगा। इन 10  सबसे प्रदूषित शहरों के नाम हैं- कानपुर, फरीदाबाद, गया, वराणसी. पटना. दिल्ली, लखनऊ, आगरा, गुड़गांव और मुफ्फरनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार उन नई पहलों को बढ़ावा दे रही है जो खतरनाक हवा को घटा सकें। लेकिन निर्माणधीन इमारतों और लाखों गाड़ियों से निकलने वाली धूल को कम करने के लिए आवश्यक उपाय करने होंगे। आने वाले हफ्तों में मोदी सरकार की प्रदूषण को कम करने के लिए बनई गईं नीतियों की परीक्षा होगी क्योंकि सर्दियों में धूल उत्तर भारत के मैदानों में पहुंच जाती है। इस मौसम में फसलों को जलाया जाता है और दीवाली के दौरान लाखों पटाखे जलाए जाते हैं। जिसकी वजह से वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। यदि धुएं से निपटने के लिए सख्त नीतियों को लागू किया गया तो भारत के नागरिक और सरकार बहुत अमीर हो जाएंगे।

विश्व बैंक की गणना के अनुसार भारत की जीडीपी का 8.5 प्रतिशत हिस्सा स्वास्थ्य देखभाल और प्रदूषण की वजह से होने वाले उत्पादकता नुकसान में जाता है। जहां एक तरफ भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। वहीं चीन 12.2 ट्रिलियन के साथ पांच गुना बड़ी है। संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसार 2015 में 1.1 मिलियन से ज्यादा मौतें अस्थमा और दिल की बीमारी की वजह से हुईं। सर गंगा राम के चेस्ट सर्जन अरविंद कुमार ने बताया कि 1988-90 में उनके पास फेफड़ों के कैंसर वाले जो मरीज आते थे वह स्मोकिंग वाले थे। अब 60 प्रतिशत मामले बिना स्मोकिंग वाले आते हैं।

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