नयी दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को कहा कि कोष की कोई कमी नहीं है और बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के लिये वैश्विक धन आकर्षित करने को लेकर अनूठे उत्पाद और ढांचे पर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत की वृद्धि की कहानी को आगे बढ़ाने केलिये विभिन्न वैश्विक कोषों से बातचीत कर रही है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में प्रभु ने कहा, ‘‘मैंने आस्ट्रेलिया और कनाडा में कोष के साथ बातचीत की है तथा सरकार उनके साथ काम करने की कोशिश कर रही है। इसमें अनूठापन यह है कि कनाडा और आस्ट्रेलिया दोनों के पेंशन कोष अपने राष्ट्रीय जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) से भी अधिक हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार उनके साथ बातचीत कर रही है। प्रभु ने कहा, ‘‘इस महीने की 15 तारीख को मैंने अबू धाबी निवेश प्राधिकरण के चेयरमैन को आमंत्रित किया है। प्राधिकरण दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी संपत्ति कोष है।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘वे भारत में निवेश के लिये गंभीर है। वे मानते हैं कि भारत की वृद्धि में दम है…भारत का जीडीपी बढ़ने वाला है…वे भारत में निवेश करना चाहते हैं। अब ये सभी चीजें के साथ उत्पद, ढांचा और नीतियां गायब हैं।’’ इसीलिए बुनियादी ढांचा विकास करने वालों को निवेश आकर्षित करने के लिये उत्पादों तथा समुचित ढांचे पर काम करने की जरूरत है। इसी कार्यक्रम मे नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने कहा कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के विकास के लिये दीर्घकालीन पूंजी की जरूरत है जो वाणिज्यिक बैंकों से नहीं आ रहा है। उन्होंने बांड बाजार के विकास पर भी जोर दिया। कांत ने कहा, ‘‘दीर्घकालीन वित्त एक बड़ी चुनौती है। हमारे पास विकसित वित्तीय संस्थान नहीं है। सभी विकसित वित्तीय संस्थान बैंकों में तब्दील हुए। वित्त संस्थानों को विकसित करने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा कि इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी लि. (आईआईएफसीएल) जैसी और संस्थानों की जरूरत है जो बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के वित्त जरूरतों को पूरा कर सके।
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