नई दिल्ली। पोलैंड में आयोजित हुई 13वीं इंटरनैशनल सिलेसियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली 16 वर्षीय संदीप कौर का अब तक का सफर आसान नहीं रहा। पटियाला के हसनपुर गांव से ताल्लुक रखने वाली कौर के पिता सरदार जसवीर सिंह एक ऑटो-रिक्शा चालक हैं। संदीप के गांव वालों ने कई बार उनके पैरंट्स से कहा कि वह संदीप का खेलना बंद करवाएं, मगर पैरंट्स ने कभी संदीप का साथ नहीं छोड़ा। संदीप के पिता ऑटो-रिक्शा चलाकर इतना ही कमा पाते थे कि उनका परिवार भूखा न सोए। आर्थिक तंगी से गुजरते हुए भी उन्होंने हमेशा बॉक्सिंग के लिए अपनी बेटी का साथ दिया। संदीप को बॉक्सिंग की प्रेरणा अपने अंकल, सिमरनजीत सिंह से मिली, जो गांव की एक अकैडमी में बॉक्सिंग किया करते थे। इस बारे में संदीप ने बताया, ‘जब मैं बच्ची थी, तब अपने अंकल के साथ गांव के पास स्थित बॉक्सिंग अकैडमी में जाती थी। मैंने वहां कुछ युवा बॉक्सर्स को देखा और धीरे-धीरे इस खेल में मेरी रुचि बढ़ने लगी।’ इसके अलावा संदीप ने बताया, ‘जब मैंने पहली बार बॉक्सिंग ग्लव्स उठाकर ट्रेनिंग शुरू की, तब मैं 8 साल की थी।’ इस अकैडमी में उन्हें कोच सुनील कुमार ने ट्रेनिंग दी। संदीप के गांव के कई लोग उनके इस खेल से जुड़ने को सही नहीं मानते थे लेकिन संदीप के परिवार ने हमेशा उनका साथ दिया। बता दें कि संदीप ने इस बार की इंटरनैशनल सिलेसियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में (52 किग्रा भारवर्ग में) पोलैंड की केरोलिना एम्पुलस्का को 5-0 से हराकर गोल्ड मेडल जीता।
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