नई दिल्ली। मोदी सरकार के ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम से घरेलू मोबाइल इंडस्ट्री को बड़ा फायदा हुआ। देश में मोबाइल बनने से इनके कंपोनेंट बनाने वाली इंडस्ट्री और घरेलू हैंडसेट देश में बनने से भारत के 3 लाख करोड़ रुपए बचे। ये बचत पिछले 4 साल में हुई। ये रिपोर्ट इंडस्ट्री बॉडी इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक एसोसिएशन ने दी है। 2014-15 में मोबाइल हैंडसेट्स में लगने वाले 78 फीसदी सामान का आयात होता था। इस कदम से 60 हजार करोड़ की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 4 साल में 120 नई मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भारत में स्थापित हुई हैं। पिछले साल 2017-18 में 22.5 करोड़ मोबाइल भारत में बने। ये भारत की कुल मांग का 80 फीसदी है। अगर भारत इन कंपोनेंट और हैंडसेट्स का इंपोर्ट करता तो हमें 3 लाख करोड़ रुपए देने पड़ते।
मार्च 2019 तक मोबाइल फोन और कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री 1.65 लाख करोड़ की हो जाएगी। 2019 में आयात गिरकर 5 से 7 फीसदी तक आ जाएगा। मौजूदा वित्तवर्ष की 2 तिमाही में वैल्यू में इंडस्ट्री 75 हजार करोड़ की हो जाएगी। वहीं वॉल्यूम में 13 करोड़ हैंडसेट्स भारत में बनेंगे। ICEA के चेयरमैन और राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज महेंद्रू के मुताबिक भारत मोबाइल हैंडसेट्स के जीरो फीसदी आयात की तरफ बढ़ रहा है। उनके मुताबिक वित्तवर्ष 2018 के अंत तक ये 1 हजार करोड़ से भी कम का हो जाएगा। उनके मुताबिक रिलायंस जियो भी जल्द ही अपना पूरा प्रोडक्शन भारत लाने वाली है। भारत में 120 नई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट आने से 4.5 लाख नई नौकरियां आई हैं। पिछले साल ही अमेरिका को पीछे छोड़कर भारत दूसरे नंबर का स्मार्टफोन बाजार बन गया था। चीन अभी भी स्मार्टफोन का सबसे बड़ा बाजार है। सैमसंग ने हाल ही में भारत में मोबाइल बनाने का सबसे बड़ा प्लांट खोला है।