बढ़ती हिंसा और बढ़ते डिजिटल लिंग विभाजन के कारण महिलाओं के अधिकार खतरे में हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतेरेस ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए यह कहा।
दुनिया भर में महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए समर्पित महत्त्वपूर्ण प्लेटफॉर्म, महिलाओं की स्थिति पर आयोग (सीएसडब्ल्यू) के उद्घाटन अवसर पर गुतेरेस ने महिलाओं पर युद्धों के असंगत प्रभाव की भी बात की।
उन्होंने तत्काल युद्धविराम और मानवीय सहायता का आग्रह करते हुए कहा कि दुनिया भर के संघर्ष क्षेत्रों में महिलाएं और लड़कियां पुरुषों द्वारा छेड़े गए युद्धों से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। गाजा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कथित तौर पर वहां इस्राइल की सैन्य कार्रवाइयों के दौरान हताहत दो-तिहाई से अधिक महिलाएं हैं। अफगानिस्तान और सूडान की महिलाओं की स्थिति और पुरुषों द्वारा नियंत्रित एल्गोरिद्म जीवन के कई पहलुओं में पैदा होने वाली असमानता पर भी चर्चा की।
गुतेरेस ने महिलाओं को सभी स्तरों पर डिजिटल प्रौद्योगिकी में निर्णय लेने की भूमिका मिलने की बात भी की। लैंगिक समानता हासिल करने के लिए संरचनात्मक बाधाओं को खत्म करने और महिलाओं को नेतृत्व की भूमिकाओं से रोकने पर विशेष जोर दिया। युद्धों और दुनिया भर जारी मार-काट से निपटने का काम महिलाएं बेहतर ढंग से कर सकती हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है।
सारी दुनिया में जारी युद्धों के मूल में पुरुष ही हैं, हालांकि वे युद्धों की बलि भी चढ़ रहे हैं जिसकी परोक्ष और अपरोक्ष तौर पर कीमत स्त्रियां ही चुका रही हैं। परिवारों से बिछडऩे वाले बच्चे दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। युद्धों ने नौजवानों को भी नेस्त-नाबूत कर दिया है।
पीछे छूटी स्त्रियां नन्हें बच्चों को सीने से चिपटाए बेघर भटक रही हैं। बढ़ती वैश्विक हिंसा बच्चों समेत महिलाओं के अधिकारों को रौंदते हुए संक्रमण की तरह बढ़ती ही जा रही है। दुनिया भर के ताकतवर शीर्षाधिकारियों के कानों में जूं रेंगती नहीं नजर आ रही।
यह सच है कि जब तक शीर्ष पदों पर और प्रौद्योगिकी पर लैंगिक समानता नहीं होगी, इसी तरह के आक्रामक/विभीषिका भरे निर्णयों से महिलाओं और बच्चों का जीवन खतरों से भरा रहेगा। पीड़ितों के बचाव और सुरक्षित जीवन के लिए जरूरी है कि महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित न रखा जाए।
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