डॉ. जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में भारत और चार यूरोपीय देशों के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) ने निवेश और वस्तुओं एवं सेवाओं के दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं।
इसे व्यापार और आर्थिक समझौता (टीईपीए) कहा गया है। गौरतलब है कि मुक्त व्यापार समझौता दो या दो से अधिक देशों के बीच एक ऐसी व्यवस्था है जहां वे साझेदार देशों से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं पर सीमा शुल्क को खत्म कर देते हैं या कम करने पर सहमत होते हैं। इन संधियों के अंतर्गत १० से ३० विषय शामिल होते हैं।
दुनिया में ३५० से अधिक एफटीए वर्तमान में लागू हैं और भारत के द्वारा ईएफटीए देशों के साथ जो एफटीए किया है, वह दुनिया में अहम माना जा रहा है। २०२२-२३ के दौरान ईएफटीए देशों को भारत का निर्यात १.९२ अरब डॉलर रहा था। वित्तीय वर्ष २०२२-२३ के दौरान इन देशों से भारत का कुल आयात १६.७४ अरब डॉलर था। यानी व्यापार घाटा १४.८२ अरब डॉलर हुआ था। नए एफटीए के तहत ईएफटीए ने अगले १५ साल में भारत में १०० अरब डॉलर के निवेश की प्रतिबद्धता जताई है। यह भारत का ऐसे समूह के साथ पहला व्यापार करार है, जिसमें विकसित देश शामिल हैं। ईएफटीए के सदस्य देशों में आइसलैंड, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं। इस समझौते में १४ अध्याय हैं।
इनमें वस्तुओं के व्यापार, उत्पत्ति के नियम, शोध एवं नवाचार, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), सेवाओं का व्यापार, निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, सरकारी खरीद, व्यापार में तकनीकी बाधाएं और व्यापार सुविधा शामिल है, जिससे भारत में १० लाख प्रत्यक्ष नौकरियां निर्मिंत होगी। इस समझौते में व्यापार से ज्यादा निवेश पर जोर दिया गया है और भारत में इस समय निवेश के बेहतरीन मौके हैं। गौरतलब है कि इन चार यूरोपीय देशों से होने वाले भारत के कुल व्यापार में स्विट्जरलैंड की हिस्सेदारी ९० प्रतिशत से अधिक है तथा बाकी की हिस्सेदारी में अन्य तीनों देश शामिल है। इस समझौते से डिजिटल व्यापार, बैंकिंग, वित्तीय सेवा, फार्मा, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर में इन चार देशों के बाजार में भारत की पहुंच आसान होगी। इसके बदले में भारत भी इन देशों की विभिन्न वस्तुओं के लिए अपने आयात शुल्क को कम करेगा।
यद्यपि कृषि, डेयरी, सोया व कोयला सेक्टर को इस व्यापार समझौते से दूर रखा गया है साथ ही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम से जुड़े सेक्टर के लिए भी भारतीय बाजार को नहीं खोला गया है। यह भी महत्त्वपूर्ण है कि ग्रीन व विंड एनर्जी, फार्मा, फूड प्रोसेसिंग, केमिकल्स के साथ उच्च गुणवत्ता वाली मशीनरी के क्षेत्र में ईएफटीए देश भारत में निवेश करेंगे जिससे इन सेक्टर में हमारा आयात भी कम होगा और भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस समझौते से भारतीय निर्यातकों के लिए यूरोप के बड़े बाजार में पहुंच आसान हो जाएगी। इस समझौते में स्विट्जरलैंड के शामिल होने से भारत में लोकप्रिय स्विटजरलैंड के चॉकलेट्स, घड़ी व बिस्कुट भारतीय बाजार में पहले की तुलना में कम कीमत पर मिलेंगे।
समझौते के मुताबिक इन दोनों ही वस्तुओं पर लगने वाले वर्तमान के आयात शुल्क को अगले सात साल में चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना है। इसलिए हर साल शुल्क में थोड़ी-थोड़ी कटौती होती रहेगी। इसमें कोई दो मत नहीं है कि इस समझौते से भारत के साथ ईएफटीए देशों को वृद्धि के लिए भारत के बड़े बाजार तक पहुंच मिली है। भारतीय कंपनियां भी अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक जुझारू बनाते हुए उनमें विविधता लाने का प्रयास करेंगी। दूसरी तरफ भारत को ईएफटीए से अधिक विदेशी निवेश मिलेगा। इससे अंतत: अच्छी नौकरियों में वृद्धि होगी। कुल मिलाकर भारत को अपनी आर्थिक क्षमता का बेहतर इस्तेमाल करने और रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा करने में मदद मिलेगी।’
उल्लेखनीय है कि भारत और ईएफटीए देश व्यापार और निवेश समझौते पर १५ साल से भी लंबे समय से बातचीत कर रहे थे। करीब १३ दौर की वार्ता के बाद २०१३ के अंत में इस पर बातचीत रुक गई थी। इसके बाद २०१६ में फिर से वार्ता शुरू हुई और चार दौर की बातचीत के बाद अब यह समझौता धरातल पर आया है। वस्तुत: भारत-ईएफटीए, व्यापार समझौता एक मुक्त, निष्पक्ष और समानता वाले व्यापार के प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इसके जरिए भारत और ईएफटीए देश आर्थिक रूप से एक दूसरे के पूरक बन जाएंगे। ज्ञातव्य है कि ईएफटीए देश यूरोपीय संघ (ईयू) का हिस्सा नहीं है।
यह मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और तेज करने के लिए एक अंतर सरकारी संगठन है। इसकी स्थापना उन देशों के लिए एक विकल्प के रूप में की गई थी जो यूरोपीय समुदाय में शामिल नहीं होना चाहते थे। इसमें कोई दो मत नहीं कि इस समय भारत वैश्विक नेतृत्वकर्ता देश के रूप में उभरकर दिखाई दे रहा है। ऐसे में दुनिया के कई विकसित और विकासशील देश भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने के लिए उत्सुक है। दुनिया यह देख रही है कि भारत सबसे तेज अर्थव्यवस्था के साथ आर्थिक विकास की डगर पर तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था को आर्थिक पंख लगे हुए दिखाई दे रहे हैं। यहां यह भी महत्त्वपूर्ण है कि अब नए मुक्त व्यापार समझौते भारत को निम्न मध्यम से उच्च मध्यम आय वाला देश बनाने में बड़े मददगार होंगे। नि:संदेह वर्तमान वैश्विक मंदी और इस्राइल-फिलिस्तीन युद्ध, रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर भारत के लिए निर्यात बढ़ाने के लिए ईएफटीए के बाद अब अन्य विभिन्न देशों के साथ एफटीए वार्ताओं की गति बढ़ाए जाए।
हम उम्मीद करें कि ईएफटीए के बाद अब भारत के द्वारा ओमान, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका, इस्रइल, भारत गल्फ कंट्रीज काउंसिल और यूरोपीय संघ के साथ भी एफटीए को शीघ्रतापूर्वक अंतिम रूप दिया जा सकेगा। हम उम्मीद करें कि देश मुक्त व्यापार समझौतों की ताकत के साथ आगे बढ़ेगा साथ ही देश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशों के अनुरूप तैयार की गई विकसित भारत:२०४७ की विस्तृत कार्य योजना के एजेंडे पर ८ से ९ फीसदी विकास दर के साथ विकसित भारत की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ेगा।