श्रुति व्यास
हैती – ये नाम जादू की दुनिया के किसी देश का लगता है। हैती को खोजने के लिए हमें क्रिस्टोफर कोलंबस का शुक्रगुज़ार होना चाहिए।
हैती में वह सब कुछ है जिसके लिए दुनिया का कैरीबियन क्षेत्र जाना जाता है – खुशनुमा ट्रॉपिकल मौसम, हरियाली, झरने, साफ़ नीला पानी और वह सब जो आपको प्रसन्नता और शांति दे सकता है। मगर परियों की कहानियां हमें बताती हैं कि जादू की दुनिया पर हमेशा किसी दुष्ट राक्षस की बुरी नजऱ लगी रहती है। हैती पर भी है। यह देश लगातार राजनैतिक अस्थिरता और प्राकृतिक आपदाओं का शिकार बनता रहा है। फ्रांस के इस पूर्व उपनिवेश के निवासी सुख-चैन से जीना जान ही नहीं पाए हैं।
डूवालिए की तानाशाही के अवसान के बाद के पिछले ३८ सालों में हैती के लोगों ने १९ शासक देख लिए हैं। देश में कानून-व्यवस्था का नामोनिशान नहीं है और लोगों की जिन्दगी और रोज़ी-रोटी हमेशा खतरे में रहती है। बलात्कार, हत्याएं और चोरियां आम हैं। करीब १.१५ करोड़ की आबादी वाले इस देश का सालाना बजट २.२ अरब अमरीकी डॉलर है। जुलाई २०२१ में तत्कालीन राष्ट्रपति जोवेनल मोईस की उनके आधिकारिक निवास में हत्या कर दी गई थी। तब से देश में राजनैतिक अराजकता का माहौल और गहरा गया है।
देश की आधी आबादी – करीब ५५ लाख – को मानवीय सहायता की ज़रुरत है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार, हैती में करीब १० लाख बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। इनमें से जो बच्चे आपराधिक गिरोहों के बोलबाले वाले इलाकों में रहते हैं, वे इन गिरोहों में शामिल हो रहे हैं। कोढ़ में खाज यह कि २०२२ में हैती में हैजा एक महामारी के रूप में फैला जिससे देश की कमर टूट गयी। और अब हैती एक नयी मुसीबत में है। वह गृहयुद्ध की कगार पर है।
गत ७ मार्च से अपराधियों के गिरोह देश की राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस की सड़कों पर उत्पात कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि राजधानी का करीब ८० प्रतिशत हिस्सा उनके कब्ज़े में है। प्रधानमंत्री एरियल हेनरी देश में नहीं हैं। वे केन्या में हैं, जहाँ वे उस देश द्वारा १,००० पुलिसकर्मी हैती भेजे जाने के लिए समझौते पर दस्तखत करने गए थे। हेनरी ने केन्या से यह सहायता २०२२ में मांगी थी और २०२३ में संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनकी मांग का अनुमोदन किया।
हेनरी की अनुपस्थिति गैंगों के लिए राजधानी पर कब्ज़ा करने का सुनहरा मौका बन गयी है। वे सरकारी इमारतों पर हमले कर रहे हैं। उन्होंने देश के सभी ४,००० जेलों के दरवाजे खोल दिए हैं और सारे के सारे कैदी भाग निकले हैं। उन्होंने हवाईअड्डों और पुलिस थानों को घेर रखा है। कुल मिलाकर, वहां भारी अफरातफरी और अराजकता का माहौल है।
एरियल हेनरी वापस अपने देश नहीं आ पा रहे हैं। हैती की पुलिस और सेना लाचार है। गैंगों के गुर्गों की संख्या उनसे कहीं ज्यादा है और कई मामलों में सैनिक और पुलिसकर्मी गोलाबारी में भी गैंगों के आगे टिक नहीं पा रहे हैं। गैंगों की एक ही मांग है – प्रधानमंत्री एरियल हेनरी इस्तीफा दें। जिमी चेरिज़ेर, जिन्हें ‘बारबेक्यू’ के नाम से जाना जाता है, गुंडों की इस विशाल फौज़ के मुखिया हैं।
उन्होंने पोर्ट ओ प्रिंस में संवाददाताओं को बताया कि अगर एरियल हेनरी इस्तीफ़ा नहीं देते तो देश में गृहयुद्ध और कत्लेआम होगा। लाचार एरियल हेनरी ने इस्तीफा दे दिया है।
ये गैंग्स अचानक क्यों मैदान में कूद पडीं और पहले से बर्बाद देश को और बर्बाद करने में क्यों जुट गईं? बात यह है कि उन्हें लग रहा था कि वे खतरे में है। इन गैंगों के मुखिया माफिया हैं, डॉन हैं। वे ज़मीनों, होटलों, घरों और यहाँ तक कि परचूनी की दुकानों और पेट्रोल पम्पों के मालिक हैं। अगर किसी भी अंतर्राष्ट्रीय संस्था को हैती में कुछ भी करना है तो उन्हें इन गैंग्स की कृपादृष्टि चाहिए ही होती है। अब तक संयुक्त राष्ट्र हैती को धन उपलब्ध करवाता रहा है और देश को स्थिरता प्रदान करने की कोशिश करता रहा है। हालाँकि इस मदद को अनजाने में देश में हैजा फैलाने और यौन हमलों में बढ़ोत्तरी के लिए भी ज़िम्मेदार बताया जाता है।
मगर अब जो नया समझौता हो रहा है उसके अंतर्गत मदद बजरिये केन्या पहुंचेगी। यही कारण है कि हेनरी केन्या में थे और यही कारण है कि गैंग्स सड़कों पर उतर आईं हैं। संयुक्त राष्ट्र के विपरीत, केन्या की मदद गैंग्स के नेताओं की आमदनी को खतरे में डाल सकती है। वैसे हेनरी के ख़िलाफ़ भी देश का नेतृत्व सम्हालने के समय से ही असंतोष था। अमेरिका के शह पर वे संविधान में ऐसे परिवर्तन कर रहे थे जिनसे वे राष्ट्रपति की नियुक्ति के बिना, प्रधानमंत्री बतौर देश पर बिना रोकटोक के राज कर सकते थे।
वे देश में बदलाव के लिए नागरिक समाज द्वारा तैयार किये गए रोडमैप का समर्थन करने के लिए तैयार नहीं थे। पिछले हफ्ते उन्होंने चुनाव की तारीखों की घोषणा की मगर २०२६ तक अपना प्रधानमंत्री बना रहना सुनिश्चित कर लिया। और इसके लिए उन्होंने कैरीकॉम नामक क्षेत्रीय राजनैतिक यूनियन की सहमति प्राप्त की, हैती के लोगों के नहीं। पिछले एक साल से हैती में एक भी निर्वाचित पदाधिकारी नहीं है।
गैंगों के मुखियाओं ने पहली जीत हासिल कर ली है। मगर हेनरी के इस्तीफे से देश में सामाजिक और राजनैतिक अनिश्चितता और बढेगी ही। पिछले कुछ सालों में गैंग्स ने बेहतर हथियार हासिल कर लिए हैं और वे पहले से बेहतर संगठित हैं। अब कीनियाई वहां आ रहे हैं जो न तो हेती की भाषा बोलते हैं और ना ही वहां के लोगों को समझते हैं। इसका अर्थ होगा लोगों के लिए और मुसीबतें, और तकलीफें।
हैती के लोग लम्बे समय से नरक में धंसते जा रहे हैं और वापसी की राह और कठिन होती जा रही हैं। मुझे लगता है कि स्वर्गिक स्थानों की यही नियति होती है। वहां स्वर्ग भी नर्क बन जाता है।