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कण्ठे मदः कोद्रवजः हृदि ताम्बूलजो मदः। लक्ष्मी मदस्तु सर्वाङ्गे पुत्रदारा मुखेष्वपि॥

कण्ठे मदः कोद्रवजः हृदि ताम्बूलजो मदः।
लक्ष्मी मदस्तु सर्वाङ्गे पुत्रदारा मुखेष्वपि॥

भावार्थ : मदिरा (शराब) पीने से उसका दुष्प्रभाव कण्ठ पर ( बोलने की क्षमता ) पर पडता है और तंबाकू (पान) खाने से उसका मन पर प्रभाव पड़ता है। परन्तु संपत्तिवान होने का मद (नशा या गर्व) व्यक्तियों न केवल उनके संपूर्ण शरीर पर वरन उनकी स्त्रियों और संतान के मुखों (चेहरों) पर भी देखा जा सकता है।

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