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राममय हुआ कैनेडा, तीन नगरपालिकाओं ने घोषित किया ‘अयोध्या राम मंदिर दिवस’

ओटावा। भारत में प्रभु श्री राम के जन्म स्थान अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर कैनेडा की ३ नगरपालिकाओं ने २२ जनवरी को “अयोध्या राम मंदिर दिवस” के रूप में मनाने का ऐलान किया है। इस समाचार से स्थानीय हिंदू समुदाय में हर्ष का माहौल है।
दुनिया भर में फैले सनातन धर्मावलंबियों का सैकड़ो वर्षों का सपना साकार होने जा रहा है। आज यानी २२ जनवरी को अयोध्या प्रभु श्री राम के जन्म स्थान अयोध्या में बन रहे भव्य श्री राम मंदिर के गर्भ गृह में रामलाल की प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस अवसर पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में हर्ष और उल्लास का माहौल है। भारत के अधिकांश राज्यों में खुशियां मनाने के साथ-साथ आधे या पूरे दिन का अवकाश भी घोषित किया गया है। कैनेडा में रह रहे भारतीय हिंदू समुदाय की भावनाओं को देखते हुए तीन नगर पालिकाओं ने २२ जनवरी को “अयोध्या राम मंदिर दिवस” के रूप में मनाने की घोषणा की है।
हिंदू कैनेडियन फाउंडेशन ने ग्रेटर टोरंटो क्षेत्र में अयोध्या में २२ जनवरी को श्री रामलला की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा किए जाने वाले समारोह का महत्व दर्शाने के लिए बिलबोर्ड भी लगाए हैं। इसमें यह बताया गया है कि भारत में राम मंदिर में २२ जनवरी को श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
हिंदू कैनेडियन फाउंडेशन (एचसीएफ) के संस्थापक और अध्यक्ष अरुणेश गिरि ने कहा कि विश्व जैन संगठन कैनेडा (वीजेएससी) के साथ ब्रैम्पटन, ओकविले और ब्रैंटफोर्ड ने २२ जनवरी को “अयोध्या राम मंदिर दिवस” के रूप में मनाने संबंधी घोषणा की है। मिल्टन के मेयर की ओर से भी बधाई संदेश भेजा गया है। ब्रैम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन द्वारा जारी उद्घोषणा में कहा गया है कि “दिन का उत्सव” हिंदू समुदाय के लिए इस महत्वपूर्ण अवसर के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को सम्मान देने और पहचानने का एक अवसर के रूप में काम करेगा।
श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए जीटीए में १०० से अधिक वाहनों वाली एक कार रैली भी निकाली गई। गिरि ने कहा कि रैली का मुख्य आकर्षण २० फुट लंबा डिजिटल ट्रक रहा। रविवार को ओटावा, ओंटारियो के विंडसर और ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में तीन अन्य रैलियां भी निकाली गई। कैलगरी के हिंदू समुदाय द्वारा अलबर्टा शहर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को रामोत्सव के रूप में मनाया गया।

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