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विदेश में बसाने को छटपटाते भारतीय

भारतीय व्यवस्था अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेज बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। अपनी विकास योजनाओं और कार्य कुशलता के बल पर पिछले कुछ वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गई है। इस सबके बावजूद, भारत में शिद्दत से अवसरों का तलाशता, छटपटाता एक छोटा सा मध्यवर्ग है। इसमें वे लोग है जो सरकारी नौकरी में है या पेंशन पाते है या संगठित क्षेत्र की निजी नौकरी में है या ठीक-ठाक व्यापार कर रहा है। लेकिन इनके लिए अवसर लगातार सिमटते हुए हैं। तभी मध्य वर्ग की आबादी का एक हिस्सा किसी तरह से अमेरिका या दुनिया के किसी दूसरे सभ्य देश में वैध या अवैध रूप से घुसने की कोशिश में है।
पिछले दिनों तीन सौ भारतीयों को लेकर निकारागुआ जा रहा एक विमान फ्रांस ने रोक लिया था और जांच के बाद वहीं से लौटा दिया था। यह विमान ‘डंकी रूट’ का हिस्सा था, जिसके जरिए लोग अवैध तरीके से मेक्सिको और उसके बाद अमेरिका या कैनेडा में घुसते हैं। उस विमान में ७० फीसदी लोग पंजाब के और ३० फीसदी गुजरात के थे।

सोचें, भारत के दो अपेक्षाकृत अधिक सम्पन्न राज्य के लोग कितने बेचैन हैं? किसी भी तरह से ये किसी सभ्य व विकसित या किसी भी तरह विदेश में जाने के लिए छटपटाता हुआ है। इस खबर के बाद पता चला कि पिछले दिनों दुबई से तीन विमान निकारागुआ गए। उनमें भी बड़ी संख्या में भारतीय सवार थे। अमेरिका में ३० लाख भारतीय हैं। इनमें एक लाख के करीब अवैध रूप से रह रहे भारतीय हैं। कितने लोग अवैध रूप से सीमा पार करने में परिवार के साथ मर गए, वह आंकड़ा अलग है। एक अच्छे जीवन की तलाश में मध्य वर्ग के लोग लाखों खर्च करके अवैध रूप से अमेरिका या यूरोप जाना चाहते हैं।

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