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इजराइल ने अरौरी को मार बदला लिया? – श्रुति व्यास

इजराइल ने अपना पहला बड़ा इंतक़ाम ले लिया है। एक भयावह और विनाशकारी युद्ध – जिसमें मरने वालों में से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं – शुरू करने के तीन महीने बाद इजराइल को अपने एक बड़े शिकार का पता मिला और कहते हैं कि एक हवाई सर्जिकल स्ट्राइक में उसे खत्म कर दिया गया। सालेह अल-अरौरी, जो हमास का दूसरे नंबर का सबसे बड़ा नेता था, बेरूत में एक ड्रोन हमले में मारा गया है। यदि इजरायली अधिकारियों के दावों पर भरोसा किया जाए तो अरौरी ही इजराइल पर ७ अक्टूबर को हुए हमले का मास्टरमाईंड था। उसका इजराइल के कब्ज़े वाले पश्चिमी किनारे में भी काफी दबदबा था, जहाँ हाल के महीनों में हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई है। वह उसी इलाके में जन्मा था।
पिछले कुछ सालों से अरौरी ज्यादातर समय बेरूत में ही रहता था। वहां वह एक तरह से हिज़बुल्लाह के लिए हमास के दूत की भूमिका में था। स्थानीय सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार वह हमास और हिज़बुल्लाह के बीच नजदीकी रिश्ते कायम करने का काम करता था। उसे गाजा में हमास के नेता याहया सिनवार का काफी नजदीकी माना जाता था।
पहले इंतिफादा के बाद हमास की स्थापना के कुछ ही समय बाद अरौरी उसमें शामिल हुआ था। उसने हमास की सैन्य शाखा इज़्ज़ेदीन अल-क़सम ब्रिगेड के गठन में सहायता की थी। पहले सीरिया, उसके बाद कतर और अब लेबनान में रह रहे अरौरी की छवि पूरे मध्यपूर्व और विशेषकर ईरान में ढेर सारे संपर्कों वाले एक चतुर ऑपरेटिव की थी। उसने पश्चिमी किनारे में हमास का नेटवर्क एवं प्रभाव बढ़ाया और फिलिस्तीनी अथॉरिटी में वर्चस्व रखने वाले धर्मनिरपेक्ष दल फतह से वार्ताएं की। सन् २०१४ में, जब अरौरी हमास में एक कमांडर था, इजराइल ने उस पर पश्चिमी किनारे में तीन इजरायली किशोरों के अपहरण और उनकी हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था। इसी वर्ष, जब वह तुर्की में निर्वासन में था, इजराइल ने उस पर फिलिस्तीनी अथॉरिटी के राष्ट्रपति महमूद अब्बास, जो इजराइल के कब्जे वाले पश्चिमी किनारे के एक भाग में राज करते हैं, के तख्तापलट का षडय़ंत्र करने का आरोप लगाया।
सन् २०१७ में अरौरी हमास के राजनैतिक विभाग का उपाध्यक्ष चुना गया। विश्लेषकों और इजरायली अधिकारियों का मानना है कि उनके चुनाव से हमास और हिज़बुल्लाह के रिश्ते और गहरे होने की प्रक्रिया शुरू हुई। चुने जाने के कुछ दिन बाद वह ईरान से संबंध मजबूत करने के उद्देश्य से तेहरान की यात्रा पर गया। उसके ठीक बाद, फिलिस्तीनी मीडिया के अनुसार, उन्होंने सार्वजनिक रूप से हिज़बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरुल्ला से मुलाकात की और उनके साथ सहयोग बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया। अमरीकी विदेश मंत्रालय ने कई सालों से अरौरी का अता-पता बताने वाले को ५० लाख डालर का इनाम देने की घोषणा कर रखी थी।
सात अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमलों और अपहरणों के कुछ समय बाद अरौरी ने अल जज़ीरा से कहा था “हमारे हासिल में जो कुछ है, उसके जरिए हमारे सारे कैदी रिहा हो जाएंगे”।उन्होंने हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरुल्ला से मुलाकात की और “इजराइल के साथ युद्ध में असली जीत हासिल करने” की रणनीति पर चर्चा की। इन दोनों के बातचीत करते हुए जो फोटो जारी किये गए। उनमें ऐसा दिखाया गया है कि वह ईरान के पहले सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खौमेनी और वर्तमान नेता अली खौमेनी के पोर्ट्रेटों के नीचे खड़े हैं।
हाल में कतर की मध्यस्थता में बंधकों को लेकर हुई वार्ताओं में अरौरी ने ‘अपरिहार्य’ भूमिका अदा की। इजरायली विशेषज्ञों का मानना है कि इस अनुभवी वार्ताकार ने ही दोनों पक्षों द्वारा रिहा किए जाने वाले व्यक्तियों की सूची तैयार की।
अरौरी की हत्या से इजराइल को ऐसा लग सकता है कि उसने अपना बदला ले लिया है। वह खुश भी हो सकता है। लेकिन विदेशी जमीन पर की गई इस हत्या से बीबी और इजराइल के लिए और भी अधिक जटिल और अप्रिय स्थिति उत्पन्न हो सकती है। अगस्त में हिज़बुल्लाह के नेता हसन नसरुल्ला ने कहा था “लेबनान की जमीन पर किसी लेबनानी, सीरियाई, ईरानी या फिलिस्तीनी की हत्या का निर्णायक जवाब दिया जाएगा। हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे, और हम लेबनान को इजराइल का नया कत्लखाना नहीं बनने देंगे”।
लेबनान के प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने भी बेरूत के एक उपनगर में हुए इस हमले की निंदा करते हुए कहा “यह इजराइल का नया जुर्म है” और लेबनान को युद्ध में घसीटने का प्रयास है।
इजराइल द्वारा बदला लेने के लिए अरौरी की हत्या के नतीजे में उसे दो मोर्चों पर युद्ध लडऩे पर बाध्य होना पड़ सकता है, जो इजराइल-हमास युद्ध प्रारंभ होने के बाद से ही अवश्यंभावी लग रहा था। और बीबी यह जानते थे।

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