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भारतीय नागरिकों में बढ़ती विदेश जाने की चाहत

फ्रांस के एक छोटे से एयरपोर्ट पर रोके गए भारतीय यात्रियों से भरे एक विमान को रोके जाने की घटना ने विदेशों में भारतीयों की जारी मानव तस्करी पर फिर रोशनी डाली है। फ्रांस में विमान में सवार लगभग ३०० भारतीयों की जांच की गई। उसके बाद विमान को वहां से जाने की इजाजत दे दी गई। खबर है कि विमान को वापस भारत भेजा गया।
निकारागुआ जा रहे इस विमान को पेरिस के पूरब में १५० किलोमीटर दूर स्थित वाट्री एयरपोर्ट पर रोका गया था। विमान दुबई से आया था और ईंधन भरने के लिए वाट्री में रुका था। वहां अधिकारियों ने एक “अनजान व्यक्ति से मिली सूचना” के आधार पर इसे रोक लिया।
एक फ्रेंच अधिकारी ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि विमान में सवार लोग संभवतया संयुक्त अरब अमीरात में काम करते थे, जिन्हें निकारागुआ ले जाया जा रहा था। शायद निकारागुआ से इन लोगों को अवैध रूप से अमेरिका या कैनेडा ले जाया जाना था।
हाल के सालों में भारतीयों के अवैध रूप से अमेरिका जाने के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। ऐसे अधिकतर लोग मेक्सिको या एल-सल्वाडोर होते हुए अमेरिका में घुसते हैं। वैसे अमेरिकी सरकार ने निकारागुआ को भी उन देशों की सूची में रखा है, जहां मानव तस्करी को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। २०२२ में मेक्सिको के रास्ते अमेरिका में घुसने वाले भारतीयों की संख्या करीब ३,००० रही थी। मेक्सिकन इमिग्रेशन एजेंसी के मुताबिक इस साल जनवरी से नवंबर के बीच ही ११,००० से ज्यादा भारतीय इस रास्ते से अमेरिका जा चुके थे। इस साल ३० नवंबर तक मेक्सिको से अमेरिका में अवैध रूप से घुसते ४१,७७० भारतीय गिरफ्तार किए गए थे, जबकि पिछले साल यह संख्या १८,३०८ थी। आखिर विदेश- खासकर अमेरिका या कैनेडा जाने की ऐसी आतुरता क्यों है? क्या यह इस बात का संकेत नहीं है कि भारतवासियों में देश में ही रोजगार पाने या देश में रहते हुए अपना जीवन स्तर बेहतर कर सकने की उम्मीदें कमजोर पड़ती जा रही हैं? क्या यह देश में आम जन की बढ़ती बदहाली का संकेत नहीं है?

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