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मौन

द्रौपदी मौन है और रहेगी बभी,

काट दी गई है उसकी बेटियों की ज़ुबान

नहीं खड़ा है उनके लिए कोई कृष्ण,

आज के दुर्योधनों की जंघाओं को तोड़ने वाला कोई गदा धारी भीम

बचे हैं सिर्फ़ कुछ जनखे, जो निर्वस्त्र होती उसकी बेटियों। पर बना रहे हैं मीम

महाभारत में दुःशासन के रक्त से अपने केशों
को बांधने वाली द्रौपदी ने अपने बाल फिर खोल दिये है .

उसे इंतज़ार है आगत महाभारत का,

जहां उसकी बेटियों को मिलेगा इंसाफ़

बांध पाएगी वह अपने बालों को पुनः अपनी बेटियों के साथ

– वृंदा पाण्डेय

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