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सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला : हाईकोर्ट को जमानत देने के अपने आदेश की समीक्षा करने की इजाजत नहीं

नई दिल्ली ,०६ अक्टूबर । सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि हाई कोर्ट को जमानत देने के अपने ही आदेश की समीक्षा करने की अनुमति नहीं है, जब तक कि जमानत रद्द करने के लिए वैध आधार उपलब्ध न हो।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें कहा गया था कि आरोपी को पहले दी गई जमानत को रद्द करने का कोई आधार नहीं बनता है।
पीठ ने आदेश दिया, इसलिए, ३१ मार्च, २०२३ के विवादित आदेश को रद्द किया जाता है और अपीलकर्ता को जमानत देने का २२ फरवरी, २०२३ का पिछला आदेश बहाल किया जाता है। अपने आदेश में, हाई कोर्ट ने यह कहते हुए जमानत रद्द कर दी थी कि उसने आरोपी की जमानत याचिका इस आधार पर स्वीकार की थी कि पाए गए गांजा की कुल मात्रा २० किलो ५० ग्राम थी, जबकि सही मात्रा १०१ किलोग्राम थी।

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