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लद्दाख में दुनिया का सबसे ऊंचा एयरफील्ड बनाएगा भारत, एलएसी से सिर्फ ५० किमी. दूर, फाइटर जेट भर सकेंगे उड़ान

नई दिल्ली ,१३ सितंबर । रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं। यहां उन्होंने २,४९१ करोड़ की ९० परियोजनाओं का उद्घाटन किया। राजनाथ सिंह ने सांबा में ४२२.९ मीटर लंबे देवक ब्रिज का उद्घाटन किया। यहीं से उन्होंने ८९ प्रोजेक्ट्स का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शिलान्यास किया। इनमें १३ हजार फीट की ऊंचाई पर बनने वाला न्योमा एयरफील्ड भी शामिल है। २१८ करोड़ की लागत से बन रहे इस एयरफील्ड से फाइटर जेट उड़ान भर सकेंगे और उतर सकेंगे। खास बात ये है कि ये एयरफील्ड एलएसी से सिर्फ ५० किलोमीटर दूरी पर है।
एलएसी पूर्वी लद्दाख के रणनीतिक न्योमा बेल्ट में इस एयर फील्ड का निर्माण करेगी। यह दुनिया का सबसे ऊंचा एयरफील्ड होगा। इसके लिए २१८ करोड़ रुपये अनुमानित लागत रखी गई है। यह रणनीतिक तौर पर काफी अहम माना जा रहा है। क्योंकि इसके बनने से एलएसी के करीब तक फाइटर ऑपरेशन हो सकेंगे। इसके साथ ही यह लद्दाख में तीसरा फाइटर एयरबेस होगा। इससे पहले लेह और थोईस में एयरबेस हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सांबा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस एयर फील्ड की आधारशिला रखेंगे। अभी न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का इस्तेमाल २०२० से चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान जवानों और अन्य सामान को पहुंचाने के लिए किया जाता रहा है। यहां से चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर और सी-१३०जे विमान भी उड़ान भरते और उतरते रहे हैं। अब यहां ऐसे एयरफील्ड का निर्माण किया जा रहा है, जहां लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे। इस एयरफील्ड के बनने के बाद लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिलेगा और हमारी उत्तरी सीमाओं पर वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी।
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर निगरानी और सुरक्षा के लिए न्योमा एयरफील्ड काफी अहम माना जा रहा है। इस नए एयरबेस से लद्दाख में निगरानी बढ़ाने के लिए लड़ाकू विमान, नए रडार और उन्नत ड्रोन संचालित हो सकेंगे। इस एयरबेस को तैयार करना, लगातार आक्रामक होते रहे चीन के खिलाफ आक्रामक क्षमताओं को बढ़ाने की योजना का हिस्सा है। हालांकि साल २०२० के बाद उस जैसी कोई झड़प नहीं हुई है, लेकिन तनाव बढऩे के तीन साल बाद से दोनों पक्षों की ओर से बड़ी संख्या में तैनाती का गई है।

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