211 Views

रेपो रेट में बदलाव नहीं करेगा आरबीआई, सर्वसम्मति से होगा फैसला

चेन्नई ,०२ अगस्त। खाद्य मुद्रास्फीति, भू-राजनीतिक और जलवायु जोखिम के बावजूद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ब्याज दर को मौजूदा ६.५ प्रतिशत से नहीं बदलेगी। अर्थशास्त्रियों ने ये बात कही है। उन्होंने ये भी कहा कि बेंचमार्क रेपो रेट वित्त वर्ष २०२४ की आखिरी तिमाही तक स्थिर रहेगी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, यह निर्णय सर्वसम्मति से होगा। इस महीने महंगाई दर ५.५ फीसदी से ६ फीसदी तक जा सकती है। जून में भी खाद्य तेल की कीमतों के चलते मुद्रास्फीति कम होकर ४.८ फीसदी पर थी। वैश्विक बाजारों में अब खाद्य तेल की कीमतें बढऩे लगी हैं। जीडीपी वृद्धि दर लगभग ८ प्रतिशत पर स्थिर रहने से यह चिंता का विषय नहीं होगा। इसलिए, यथास्थिति कायम रहेगी।
एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री और प्रमुख सुमन चौधरी ने बताया, एमपीसी की अगस्त की बैठक अप्रैल २०२३ के बाद से लगातार तीसरी बैठक होगी जब ब्याज दर ६.५ प्रतिशत पर बरकरार रहेगी। तेल और खाद्य कीमतों में बढ़ोत्तरी के जोखिम के साथ-साथ लचीली घरेलू मांग और मुख्य मुद्रास्फीति का स्तर चालू कैलेंडर वर्ष में मौद्रिक नीति में कोई बदलाव की अनुमति नहीं देता। हमारा अनुमान है कि भारत में बेंचमार्क रेपो दरें चौथी तिमाही तक मौजूदा स्तर पर बनी रहेंगी। चौधरी को उम्मीद है कि एमपीसी का निर्णय सर्वसम्मत होगा, हालांकि उन्होंने कहा कि इस बात पर बहस होगी कि आरबीआई क्या पोजिशन लेता है।
हालांकि इस मामले पर एमपीसी सदस्यों के बीच मतभेद होंगे, लेकिन हमारा मानना है कि मुद्रास्फीति परिदृश्य पर बढ़ती अनिश्चितता के बावजूद मौद्रिक नीति रुख अपरिवर्तित रहेगा। केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने आईएएनएस को बताया कि आरबीआई वेट एंड वॉच पॉलिसी अपनाएगा और रेपो दर में बदलाव नहीं करेगा। हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति में हालिया वृद्धि पिछले वर्षों में देखे गए मौसमी प्रभाव से अधिक है, लेकिन यह तात्कालिक है। बारिश सब जगह एक जैसी नहीं हुई है, फिर भी अधिकांश खऱीफ़ फसलों (दालों को छोड़कर) की बुआई पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। सिन्हा ने कहा, दूसरा एक अहम कारक यह है कि डब्ल्यूपीआई (थोक मूल्य सूचकांक) सूचकांक सिकुड़ रहा है, जिसका मतलब है कि इसका सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) पर मध्यम प्रभाव पड़ेगा। इसलिए आरबीआई वेट एंड वॉच की पॉलिसी का पालन कर सकता है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुद्रास्फीति की चिंता के फिर से उभरने के साथ आरबीआई सतर्क रहेगा और जरूरत पडऩे पर दरों में बढ़ोतरी की गुंजाइश खुली रखेगा। उधर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने नीतिगत दर में बढ़ोतरी की है, लेकिन आरबीआई ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनका निर्णय घरेलू विकास और मुद्रास्फीति की गतिशीलता से अधिक प्रभावित होगा। सिन्हा ने कहा, नीतिगत दर पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्णय एमपीसी सदस्यों के बीच सर्वसम्मति से होने की संभावना है। क्रिसिल लिमिटेड की प्रधान अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे के अनुसार, मुद्रास्फीति मौसम संबंधी गड़बड़ी के कारण अस्थायी प्रतीत होती है। देशपांडे ने बताया, कुछ खाद्य पदार्थों के लिए पहले से ऊंची दर के बीच यह मुद्रास्फीति के दृष्टिकोण को बढ़ा सकता है। हालांकि, अभी के लिए, हमने वित्त वर्ष २०२४ के लिए अपने सीपीआई मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को ५ प्रतिशत पर बरकरार रखा है। हम उम्मीद करते हैं कि आरबीआई आगामी नीति में दरों को अपरिवर्तित रखेगा। मार्च २०२४ तिमाही में दरों में कटौती की उम्मीद है।

Scroll to Top