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मणिपुर हिंसा पर मदद के लिए अमेरिका तैयार, कहा- चिंता करने के लिए भारतीय होने की जरूरत नहीं

नई दिल्ली,०८ जुलाई | पिछले कुछ महीनों से मणिपुर हिंसा की आग में जल रहा है। राज्य और केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी इस पर लगाम नहीं लग पाई है। वहीं इसी बीच भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा है कि संयुक्त राज्य अमेरिका मणिपुर में हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने के लिए तैयार हैं। गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका के लिए मणिपुर एक ‘मानवीय चिंता’ है और अगर शांति हो तो यहां अधिक निवेश आ सकता है। आपको बता दें कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में १०० से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने गुरुवार को कहा कि अमेरिका मणिपुर में हिंसा से निपटने में भारत की सहायता करने के लिए तैयार है। गार्सेटी ने कहा कि अगर यहां शांति होगी तो यह अधिक निवेश ला सकता है। वहीं एरिक गार्सेटी के बयान पर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि किसी अमेरिकी दूत के लिए भारत के आंतरिक मामलों के बारे में इस तरह का बयान देना बहुत दुर्लभ है। मनीष तिवारी ने पंजाब, जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर में पहले की चुनौतियों का जिक्र किया और कहा कि अमेरिकी राजदूत तभी सतर्क थे। उन्होंने ट्वीट किया कि हमने दशकों तक पंजाब, जम्मू-कश्मीर, उत्तर पूर्व में चुनौतियों का सामना किया और चतुराई से उन पर विजय प्राप्त की। कांग्रेस नेता ने कहा कि मुझे संदेह है कि क्या नए यूएस राजदूत एरिक गार्सेटी को अमेरिका-भारत संबंधों के जटिल इतिहास और हमारे आंतरिक मामलों में हमारी संवेदनशीलता का ज्ञान है।
दरअसल राज्य में स्कूल दोबारा खुलने के एक दिन बाद गुरुवार को मणिपुर के इंफाल पश्चिम जिले में महिला की गोली मारकर हत्या कर दी गई।
आपको बता दें कि मणिपुर में उथल-पुथल तब शुरू हुई जब मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा की मांग का विरोध करने के लिए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया। तब से लेकर अब तक मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में १०० से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।

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