नई दिल्ली २८ अप्रैल। समलैंगिक मैरिज को मान्यता देने वाली २० याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में वीरवार को छठे दिन सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान केंद्र का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि समलैंगिक विवाह में पत्नी कौन होगा, जिसे भरण-पोषण का अधिकार मिलता है। गे या लेस्बियन मैरिज में पत्नी किसे कहेंगे। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अगर यह जिक्र सेम सेक्स मैरिज में लागू करने के लिए किया जा रहा है तो इसके मायने हैं कि पति भी रखरखाव का दावा कर सकता है, लेकिन अपोजिट जेंडर वाली शादियों में यह लागू नहीं होगा।
उच्चतम न्यायालय में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग करने वाली याचिकाओं पर हो रही सुनवाई के बीच बुधवार को केंद्रीय विधि मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा था कि विवाह संस्था जैसा महत्वपूर्ण मामला देश के लोगों द्वारा तय किया जाना है और अदालतें ऐसे मुद्दों को निपटाने का मंच नहीं हैं। उन्होंने हालांकि स्पष्ट किया कि वह इस मामले को ‘सरकार बनाम न्यायपालिका’ का मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं। गुरुवार को कोर्ट में सुनवाई सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली की संवैधानिक बेंच कर रही थी।
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