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crisis spiraling out of control

काबू से बाहर होता संकट

अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) के फेल होने से शुरू हुआ बैंकिंग संकट का दायरा फैलता ही जा रहा है। अब तक एक बात साफ हो चुकी है कि जिस तरीके से पश्चिम के नीति निर्माता इस संकट को संभालने की कोशिश कर रहे हैं, वह काम नहीं कर रहा है। बल्कि उस तरीके ने विश्वास के संकट को और बढ़ा दिया है। अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने संकटग्रस्त बैंकों को वित्त मुहैया कराई, लेकिन यह कहते हुए कि यह बेलआउट नहीं है। इसी तरह स्विट्जरलैंड में क्रेडिट सुइस बैंक का अधिग्रहण यूएसबी बैंक ने किया, जिसके लिए धन वहां के सेंट्रल बैंक ने उपलब्ध कराया। लेकिन फिर यही कहा गया कि यह बेलआउट नहीं है। लेकिन शेयरहोल्डरों से लेकर जमाकर्ताओं तक को इस बहानेबाजी से बहलाया नहीं जा सका। नतीजा यह हुआ कि सोमवार को बाजारों में बैंकिंग शेयरों में भारी गिरावट आई। उससे बैंकों का अपना मूल्य और घट गया है। अमेरिका में पहले ही बैंक अपने मूल्य का एक चौथाई हिस्सा गंवा चुके हैं।
इस तरह यह संकट अधिक गंभीर हो गया है। यह गौरतलब है कि स्विट्जरलैंड में रविवार को आम तौर पर कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं होती है, लेकिन इस बार ऐसा हुआ। इसलिए कि यह कोई सामान्य वक्त नहीं है। रविवार को बर्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्विस नेशनल बैक ने एलान किया कि क्रेडिट सुइस को यूबीएस खरीदेगा। डील ३ अरब स्विस फ्रैंक (३.२३ अरब डॉलर) में होगी। स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति एलना बेरसेट ने कहा कि यह सौदा वित्तीय केंद्र के तौर पर स्विट्जरलैंड में भरोसा बरकरार रखने का “सबसे अच्छा उपाय” है। लेकिन सोमवार को यह जाहिर हुआ कि शुरुआती तौर पर उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हुई है। क्रेडिट सुइस ५.४ अरब डॉल के घाटे में था। यूबीएस की ओर से कहा गया कि यूबीएस क्रेडिट सुइस के जोखिम को संभाल लेगा। जबकि इस सौदे के एलान से पहले क्रेडिट सुइस और यूबीएस प्रतिद्वंद्वी बैंक थे। उनका मेल निवेशकों को पसंद नहीं आया, यह शेयर बाजार की प्रतिक्रिया से साफ है। देखने की बात होगी कि अब नीति निर्माता क्या रास्ता अपनाते हैं।

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