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Worrying crisis for biodiversity

चीन की बढ़ती चिंताएं

पश्चिमी देशों में इन दिनों चीन को लेकर गहरा रहे भय के माहौल के बीच यह खबर आई कि अमेरिकी अधिकारियों में यह अंदेशा फैल गया है कि बंदरगाहों पर इस्तेमाल होने वाले चीन में बने क्रेनों में जासूसी के उपकरण लगे हो सकते हैं। उसी खबर में बताया गया कि अमेरिका के ज्यादातर बंदरगाहों पर जिन स्मार्ट क्रेन का इस्तेमाल होता है, उनमें से लगभग सभी चीन में निर्मित हैं। अमेरिका में चीनी गुब्बारों को लेकर पैदा हुई चिंता के उस माहौल का यह नया संस्करण है। उधर जर्मनी से खबर है कि वहां चीनी कंपनी हुआवे और जेडटीई के बनाए ५-जी नेटवर्क के कुछ हिस्सों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा सकता है। जर्मनी के मीडिया में ये खबरें बहुचर्चित हैं और उनमें बताया गया है कि अगर यह पाबंदी लगती है, तो यह एक बड़ा फैसला होगा। जर्मनी के लगाए जाने वाले संभावित प्रतिबंध में वो हिस्से शामिल होंगे, जो ५-जी नेटवर्क में पहले से ही इन-बिल्ट हैं। प्रतिबंध लगने के बाद ऑपरेटरों को ये हिस्से हटाकर उनकी जगह नए पुर्जे लगाने होंगे। जर्मनी ने २०२१ में आईटी सुरक्षा कानून पास किया था। इसमें भावी नेटवर्कों के लिए दूरसंचार से जुड़े उपकरण बनाने वाली कंपनियों के लिए सख्त नियम-कायदे तय किए गए थे।
इस कानून का अब पहली बार बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होगा। हुवावे और जेडटीई कंपनियों पर प्रतिबंध लगवाने का अभियान अमेरिका ने पांच साल पहले शुरू किया था। उसके बाद कई देशों में इन कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया, लेकिन उनमें जर्मनी शामिल नहीं है। लेकिन हाल में जर्मनी में तफ्तीश शुरू हुई। इस दौरान जानने की कोशिश की गई कि क्या ५-जी नेटवर्क के विस्तार में ऐसे उपकरण भी शामिल हैं, जिनसे सुरक्षा के लिए जोखिम पैदा हो सकता है। हालांकि अभी यह जांच आधिकारिक तौर पर पूरी नहीं हुई है, लेकिन मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक नतीजे स्पष्ट हो चुके हैं। सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री में चीन को अलग-थलग करने की मुहिम पश्चिम में काफी आगे बढ़ चुकी है। इसके बावजूद यह सवाल बना हुआ है कि यह मुहिम सचमुच ठोस साक्ष्यों पर आधारित है, या चीन की प्रगति को रोकने के अभियान का हिस्सा है?

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