नई दिल्ली। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 31 हजार प्रवासियों को संशोधित नागरिकता विधेयक से तुरंत लाभ मिलेगा। ये वो लोग हैं, जो इन तीन देशों के अल्पसंख्यक हैं और भारत में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए रह रहे हैं। ये लोग भारत में लॉन्ग टर्म वीजा पर रह रहे हैं और भारत की नागरिकता पाने के लिए आवेदन कर चुके हैं। हालांकि, ये संभावना जताई जा रही है कि इस बिल से असम में बड़ी संख्या में रह रहे बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिकता मिलेगी। साल 2011 से 8 जनवरी, 2019 तक 187 बंग्लादेशियों को लॉन्ग टर्म वीजा मिला है। वहीं लाभार्थियों में पाकिस्तानी प्रवासी बहुमत में हो सकते हैं। 2011 से 8 जनवरी, 2019 तक 34,817 प्रवासियों को लॉन्ग टर्म वीजा जारी हुए हैं। हालांकि जो पाकिस्तानी लॉन्ग टर्म वीजा पर रहे रहे हैं, उनकी धर्म के आधार पर जानकारी नहीं है। वहीं नागरिकता बिल पर जॉइंट पारियामेंट्री कमिटि की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के वो प्रवासी जो लॉन्ग टर्म वीजा पर रह रहे हैं, की संख्या 31,313 है। रिपोर्ट के अनुसार इनमें 25,447 हिंदू, 5807 सिख, 55 ईसाई, 2 बौद्ध और दो पारसी शामिल हैं। वहीं लॉन्ग टर्म वीजा वाले 15,107 पाकिस्तानी राजस्थान, 1560 गुजरात, 1444 माध्यप्रदेश, 599 महाराष्ट्र, 581 दिल्ली, 342 छत्तीसगढ़ और 101 उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं।जेपीसी रिपोर्ट के मुताबिक खुफिया विभाग ने समिति के समक्ष अपने बयान में कहा है कि तीन देशों से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में आकर बसे 31,313 प्रवासियों को नागरिकता बिल में हुए संशोधन से तुरंत लाभ मिलेगा। हालांकि विभाग ने ये भी कहा कि जो लोग इस बात का दावा नहीं कर पाए कि वह भारत में धार्मिक उत्पीड़न के कारण बसे हैं, उनके लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं।आईबी डायरेक्टर ने पैनल से कहा था कि, “भविष्य में किए गए किसी भी दावे की जांच की जाएगी, रॉ के माध्यम से भी, कोई भी फैसला (नागरिकता देना) लेने से पहले जांच होगी।” इसके साथ ही उन्होंने इशारा करते हुए बताया कि 31,313 प्रवासियों (जो लॉन्ग टर्म वीजा पर रहे हैं) की जांच दोबारा भी की जा सकती है।बता दें नागरिकता संशोधन बिल के तहत 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ चुके लोगों को ही 11 साल के बजाय 6 साल तक देश में रहने पर नागरिकता दी जाएगी। ऐसे में बांग्लादेशियों की ज्यादा संख्या को इसका लाभ होने की बात मानी ही नहीं जा सकती।
