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16वीं लोकसभा में काम के घंटे हुए कम लेकिन पास हुए ज्यादा बिल

नई दिल्ली। बुधवार को 16वीं लोकसभा का अंतिम सत्र समाप्त हो गया। राफेल और नागरिकता बिल के विरोध में राज्यसभा में विपक्षी दलों का हंगामा जारी रहा। हालांकि मोदी सरकार का अंतरिम बजट दोनों सदनों में पास हो गया। कई मामलों में यह लोकसभा पिछली लोकसभाओं की तुलना में बेहतर साबित हुई वहीं कुछ ऐसी बातें भी हैं जो औसत कार्यवाही की नजर से कमतर रहीं।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के मुताबिक16वीं लोकसभा में कुल 1,615 घंटे काम हुआ। यह 15वीं लोकसभा के मुताबिक 20 प्रतिशत ज्यादा था लेकिन अगर अबतक लोकसभा में काम के कुल घंटों का औसत (2,689 घंटे) निकाला जाए तो यह 40 फीसदी कम है। यह पांच साल की लोकसभाओं में दूसरी सबसे कम काम करने वाली लोकसभा है। इस बार लोकसभा के कार्यवाही के दिन भी कम हुए हैं। इसमें लोकसभा की कार्यवाही कुल 331 दिन हुई जो कि पूर्णकालिक लोकसभाओं के औसत से 137 दिन कम है। इस लोकसभा में निर्धारित समय का 16 प्रतिशत हंगामे की वजह से बर्बाद हुआ। हालांकि यह 15वीं लोकसभा के (37%) मुकाबले बेहतर था। 14वीं लोकसभा में 13 फीसदी समय ही बर्बाद हुआ था। राज्यसभा में निर्धारित समय का 36 फीसदी वक्त हंगामे की बलि चढ़ा। यह पिछली दोनों लोकसभाओं की तुलना में क्रमशः 32 और 14 फीसदी ज्यादा है। इस लोकसभा में कुल समय का 32 फीसदी कानून बनाने की प्रक्रिया में इस्तेमाल हुआ। यह औसत (25 प्रतिशत) से ज्यादा है और पिछली सभी लोकसभाओं में दूसरा सबसे ज्यादा है। इस लोकसभा में 133 बिल पास हुए जो पिछली लोकसभा से 15 प्रतिशत ज्यादा हैं। इस बार पार्ल्यामेंट्री कमिटी को भेजे गए बिलों की संख्या पिछली लोकसभा की तुलना में 25 फीसदी कम है। 14वीं और 15वीं लोकसभा में संसदीय समितियों के पास ज्यादा बिल भेजे गए थे जिनकी जांच का प्रस्ताव रखा गया था। सरकार के दो महत्वपूर्ण विधेयक नागरिकता(संशोधन) विधेयक और तीन तलाक विधेयक राज्यसभा में पास नहीं हो पाए हैं। सराकर का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही ये दोनों बिल समाप्त हो जाएंगे। 3 जून को इस सरकार का कार्याकाल खत्म हो रहा है।

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