पुणे। इरादे मजबूत हों तो उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता, यह बात एक बार फिर साबित की है 68 साल के कर्नल (रिटायर्ड) विश्वास भास्कर राव शिंदे ने। कर्नल शिंदे ने दीघा फायरिंग रेंज के कॉलेज ऑफ मिलिटरी इंजिनियरिंग के प्लैटिनम जुबली समारोह के मौके पर 1500 फीट की ऊंचाई से पैरा जंपिंग की। पांचवी पीढ़ी के ऑफिसर शिंदे भारतीय सेना की 21 पैराशूट बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर थे। इस बटालियन ने ही 2015 में म्यांमार में 2015 में क्रॉस बॉर्डर ऑपरेशन को अंजाम दिया था। शिंदे ने बताया, ‘मैं 2005 में सेना से रिटायर हुआ था। इसके बाद मैंने तय किया कि हर साल मैं कम से कम एक पैरा जंपिंग तो करूंगा ही। पिछले साल आगरा में की थी और इस साल दीघा फायरिंग रेंज में की।’
वाडिया कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद शिंदे ने देहरादून स्थित इंडियन मिलिटरी अकैडमी (आईएमए) जॉइन की। 1972 में शिंदे मराठा लाइट इन्फैंट्री की 14वीं बटालियन में लेफ्टिनेंट के तौर पर नियुक्त हुए। 90 के दशक की शुरुआत में शिंदे को एक पैराशूट बटालियन बनाने को कहा गया। 1995 में उन्होंने 21वीं पैराशूट बटालियन बनाई। शिंदे कहते हैं कि एक पैरा जंपर के लिए फिटनेस सबसे महत्वपूर्ण चीज है। उन्होंने कहा, ‘मैं हर दिन कम से कम 5 किलोमीटर दौड़ता हूं। अलग-अलग तरह की एक्सर्साइज़ करता हूं और अच्छी डायट लेता हूं। इन्हीं सब चीजों की वजह से पैरा जंपिंग के लिए मेरी फिटनेस बनी रहती है।’ शिंदे मूल रूप से रत्नागिरी जिले की चिपलुन तहसील स्थित मोरावने गांव से हैं। रिटायरमेंट के बाद शिंदे सदर्न कमांड के आर्मी वेलफेयर हाउसिंग ऑर्गनाइज़ेशन के रीजनल डायरेक्टर के तौर पर भी सेवाएं दे चुके हैं।