102 Views
12 Cheetahs to reach Kuno Park on February 18, IAF aircraft leaves for South Africa

१८ फरवरी को कूनो पार्क पहुंचेंगे १२ चीते, आईएएफ का विमान दक्षिण अफ्रीका के लिए रवाना

नई दिल्ली, १७ फरवरी। मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (केएनपी) में १२ चीतों का दूसरा जत्था दक्षिण अफ्रीका से १८ फरवरी को पहुंचेगा । केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को यह जानकारी दी। साउथ अफ्रीका से इन चीतों को लाने के लिए भारतीय वायुसेना का विमान उड़ान भर चुका है। १८ फरवरी को सुबह १० बजे चीतों को लेकर यह विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पर लैंड करेगा। इन चीतों के साथ वेटरनरी डॉक्टर और चीता एक्सपर्ट डॉक्टर लारेल उसी विशेष विमान के साथ आएंगी।
वन्यजीव महानिदेशक (डीजी) एसपी यादव ने बताया कि कूनो नेशनल पार्क में लाए गए सभी चीतों ने अपने परिवेश को अच्छी तरह से अपनाया है। उन्होंने कहा कि ‘सासा’ नाम के चीते को छोड़कर सभी चीते स्वस्थ हैं। एसपी यादव ने आगे कहा, इंडियन एयरफोर्स के सी-१७ ग्लोबमास्टर ने देश में १२ चीतों को लाने के लिए गुरुवार सुबह हिंडन एयरबेस से दक्षिण अफ्रीका के लिए उड़ान भरी। इंडियन एयरफोर्स इस कार्य के लिए कोई रकम नहीं ले रहा है। १८ फरवरी को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ा जाएगा।’
परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया कि सात नर और पांच मादा चीते भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका से हजारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए यात्रा शुक्रवार शाम को शुरु करेंगे। उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीकी चीते सबसे पहले शनिवार सुबह मध्य प्रदेश में ग्वालियर वायु सेना के अड्डे पर पहुंचेंगे और ३० मिनट बाद उन्हें भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों द्वारा लगभग १६५ किमी दूर श्योपुर जिले के केएनपी पहुंचाया जाएगा।
विशेषज्ञ ने कहा कि दोपहर १२ बजे केएनपी पर उतरने के बाद, उन्हें आधे घंटे के बाद क्वारंटाइन (बाड़ों) में रखा जाएगा। केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए १० बाड़े स्थापित किए हैं। इनमें से दो बाड़ों में दो जोड़ी चीता भाइयों को रखा जाएगा।
पीएम मोदी के ७२वें जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ चीते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने १७ सितंबर को अपने ७२ वें जन्मदिन पर नामीबिया से लाए गए आठ चीतों (पांच मादा तथा तीन नर) के पहले जत्थे को केएनपी के बाड़ों में छोड़ा था। चीतों का पहला जत्था फिलहाल जंगल में पूरी तरह से खुला छोड़े जाने से पहले बड़े बाड़ों में है। भारत में इस प्रजाति के विलुप्त होने के लगभग सात दशक बाद चीतों को देश में फिर से बसाया जा रहा है। देश में अंतिम चीते की मृत्यु १९४७ में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में हुई थी और इस प्रजाति को १९५२ में भारत से विलुप्त घोषित कर दिया गया था।

Scroll to Top