नई दिल्ली। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में नयी पीढ़ी की कम से कम १,००० अमृत भारत ट्रेन का निर्माण करेगा। वहीं, २५० किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन बनाने का काम जारी है। वैष्णव ने कहा कि रेलवे ने वंदे भारत ट्रेनों के निर्यात पर काम पहले ही करना शुरू कर दिया है और देश द्वारा पहला निर्यात अगले पांच वर्षों में किये जाने की उम्मीद है।
वैष्णव ने बुलेट ट्रेन परियोजना के हिस्से के रूप में मुंबई और ठाणे के बीच भारत की पहली समुद्र के नीचे सुरंग के निर्माण की शुरुआत पर भी बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया में केवल पांच देश हैं, जिनके पास ऐसी तकनीक है। मुंबई और ठाणे के बीच २१ किलोमीटर लंबी प्रस्तावित सुरंग में ९.७ किलोमीटर की दूरी समुद्र से होकर गुजरेगी, जो इसकी सतह से ५४ मीटर नीचे होगी। वैष्णव ने रेलवे के किराया संरचना और उसकी सेवाओं का उल्लेख करते हुए कहा, ”हर साल लगभग ७०० करोड़ लोग रेलवे से सफर करते हैं। व्यावहारिक रूप से प्रतिदिन ढाई करोड़ लोग रेलवे से सफर करते हैं। किराया संरचना ऐसी है कि यदि एक व्यक्ति को ले जाने की लागत १०० रुपये है, तो हम ४५ रुपये लेते हैं। इसलिए हम रेलवे से यात्रा करने वाले हर व्यक्ति को औसतन ५५ प्रतिशत की छूट देते हैं।”
मंत्री ने कहा, हमने अमृत भारत ट्रेन डिजाइन की है, जो एक विश्व स्तरीय ट्रेन है। इसके जरिये केवल ४५४ रुपये के खर्च पर १,००० किलोमीटर की यात्रा की जा सकती है।” वैष्णव ने कहा कि भारत आने वाले वर्षों में कम से कम १,००० नयी पीढ़ी की अमृत भारत ट्रेनों का निर्माण करेगा और २५० किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली ट्रेन बनाने का काम जारी है। वैष्णव ने रेलवे के कुल वार्षिक व्यय का ब्यौरा दिया और कहा कि पेंशन, वेतन, ऊर्जा खर्च और पट्टा-ब्याज भुगतान पर व्यय क्रमश: ५५,००० करोड़ रुपये, ९७,००० करोड़ रुपये, ४०,००० करोड़ रुपये और ३२,००० करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि अन्य १२,००० करोड़ रुपये रखरखाव पर खर्च होते हैं और सभी मिलकर लगभग २.४० लाख करोड़ रुपये होते हैं।
वैष्णव ने कहा, हम इन सभी खर्चों को पूरा करने में सक्षम हैं, क्योंकि टीम प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में बहुत कड़ी मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा, आज, रेलवे स्टेशन १० साल पहले की तुलना में बहुत अलग हैं। स्टेशन और ट्रेनें साफ-सुथरी हैं और हर ट्रेन में जैव-टॉयलेट है। रेल मंत्री के मुताबिक, नयी तकनीक के आने से वंदे भारत जैसी ट्रेनें युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गई हैं।
