नई दिल्ली ,१० अगस्त । सूत्रों ने बताया है कि सेना अगले दो वर्षों की अवधि में कश्मीर में अपने जवानों की संख्या में तकरीबन दो लाख की कमी लाना चाहती है। जिसमें कुछ स्थिर इकाइयों के अलावा, राष्ट्रीय राइफल्स, जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद-रोधी इकाइयों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है। रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि सेना अपनी ताकत १२.८ लाख से घटाकर लगभग १०.८ लाख करना चाहती है।
यह पूछे जाने पर कि क्या कोई समयसीमा तय की गई है, सूत्रों ने कहा कि सैनिकों की संख्या को युक्तिसंगत बनाना एक सतत प्रक्रिया है और कई पहलुओं पर गौर किया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि पिछले दो वर्षों में कोई भर्ती नहीं होने के कारण सेना पहले से ही लगभग १.३५ लाख कर्मियों की कमी का सामना कर रही है। भले ही अग्निपथ योजना शुरू की गई हो, लेकिन इस साल केवल ३५,००० से ४०,००० कर्मियों की भर्ती की जा रही है।
सूत्रों ने बताया कि नई नीति के तहत जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) की तैनाती में पुनर्गठन पर विचार किया जा रहा है। जबकि केंद्र शासित प्रदेश में लगभग ६३ आरआर बटालियन हैं, यह सेना की अन्य इकाइयों से अद्वितीय है। आरआर बटालियन में से प्रत्येक में एक नियमित पैदल सेना गठन के चार की तुलना में छह कंपनियां हैं, और प्रत्येक कंपनी – जिसमें १०० से १५० सैनिक शामिल हैं।
सूत्रों ने कहा कि विचार प्रक्रियाओं में से एक प्रत्येक बटालियन में दो कंपनियों को कम करना था। दूसरा यह देखना था कि क्या आरआर बटालियनों की वास्तविक संख्या को कम किया जा सकता है और क्या आतंकवाद-रोधी ग्रिड कोप्रभावित किए बिना प्रत्येक के लिए उत्तरदायित्व का क्षेत्र (एओआर) बढ़ाया जा सकता है।
