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सपना बनाम हकीकत

भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में, मुमकिन है कि उद्योगपति गौतम अडानी सचमुच वही सोचते हों, जो उन्होंने कहा है। उन्होंने कहा है कि साल २०५० तक भारत की अर्थव्यवस्था ५० ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी। अगर वे ऐसा सचमुच सोचते हों, तो उसमें कोई हैरत की बात भी नहीं होगी। इसलिए कि २००२ के बाद से जिस तरह उन्होंने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से युगलबंदी बनाई, उसका उनके जीवन पर चमत्कारिक असर हुआ। एक छोटे कारोबारी से देश के सबसे धनी दो व्यक्तियों में उनका शामिल हो जाना किसी करिश्मे से कम नहीं है। तो ऐसा उनका सोचना जायज माना जाएगा कि अगर उनकी जिंदगी में ऐसा करिश्मा हो सकता है, तो आखिर भारत की अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं हो सकता! बहरहाल, इसके साथ उन्होंने दूसरा जो सपना देखा है, वह बहुत छोटा है। वो यह कि तब भारत में कोई भूखा नहीं सोयेगा। यानी मानव इतिहास का सबसे धनी देश बनने के बाद भी भारत की बहुसंख्यक जनता के लिए संतोष की बात सिर्फ इतनी होगी कि उसे दो वक्त का खाना मिल जाएगा। ५० ट्रिलियन डॉलर का बाकी हिस्सा कहां जाएगा, उसके बारे में अडानी क्या सोचते होंगे, इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
बहरहाल, ये गौर करें। अमेरिका अब तक मानव इतिहास का सबसे धनी देश है और उसकी अर्थव्यवस्था अभी तकरीबन २३ ट्रिलियन डॉलर की है। चीन अब १८ ट्रिलियन डॉलर पर पहुंचा है। बाकी तो कोई आसपास भी नहीं है। भारत की अर्थव्यवस्था फिलहाल तीन ट्रिलियन डॉलर के करीब है। तो २८ साल में यहां ५० ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचना भूतो ना भविष्यति जैसे चमत्कार से ही संभव है। बहरहाल, हकीकत यह है कि देश स्टैगफ्लेशन के कगार पर है। यानी मुद्रास्फीति की दर आर्थिक विकास की दर से अधिक होने वाली है। गरीबों की तो छोडिय़े, महंगाई अब मध्य वर्ग की जेब और बचत में भी सेंध लगा रही है। इससे मध्य वर्ग सिकुड़ रहा है। उसका अर्थ है कि देश का उपभोक्ता बाजार सिकुड़ रहा है। इसके बीच देश की आम खुशहाली की उम्मीदें लगातार धुंधली पड़ रही हैं। भुखमरी का आलम कैसा है, इसके किसी बाजार में जाकर महसूस किया जा सकता है, जहां भीख मांगने वाले लोगों की संख्या में अचानक अत्यंत वृद्धि देखने को मिल रही है। इसके बीच ऊंचा सपना देखना बहुत ही ज्यादा साहस की बात है। ऐसा सपना दिखाने के लिए देश को अडानी का शुक्रगुजार होना चाहिए!

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