चंडीगढ़। पाकिस्तान की सीमा में घुस वहां भारतीय जवानों द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल बाद तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डी एस हुडा ने कहा है कि इस हमले के इतना प्रचार की जरूरत नहीं थी। बता दें कि जम्मू-कश्मीर के उड़ी में सैन्य शिविर पर आतंकी हमले के जवाब में भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस हमले में पाकिस्तान स्थित आतंकियों के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया गया था और सेना के जांबाज जवानों ने कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। उधर, हुडा के इस बयान पर सेना चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि यह व्यक्तिगत बयान है और इसपर प्रतिक्रिया नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा, ‘वह (हुडा) इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाले मुख्य व्यक्तियों में शामिल रहे हैं और मैं उनके शब्दों का आदर करता हूं।’
हुड्डा का कहना था, ‘मुझे लगता है कि इसका कुछ ज्यांदा ही प्रचार किया गया। सेना का ऑपरेशन महत्वनपूर्ण था और हमें ऐसा करना ही था। पर इसका कितना राजनीतिकरण होना चाहिए था, यह कितना सही है या गलत यह बात राजनेताओं से पूछी जानी चाहिए।’ भारत ने जिस समय सर्जिकल स्ट्रानइक की थी उस समय लेफ्टिनेंट जनरल डी. एस. हुड्डा उत्तेरी कमान के प्रमुख थे। एलओसी पर होने वाली घटनाओं पर सेनाओं की क्यात प्रतिक्रिया होनी चाहिए इस पर उनका कहना था कि जिस तरह से पाकिस्तारन लगातार उकसावे की कार्रवाई कर रहा है उसे देखते हुए सेना की सतर्कता और सक्रियता दोनों जरूरी है। खासकर तबतक जबतक कि पाकिस्ताकन की ओर से तनाव को कम करने और घुसपैठ को रोकने के लिए कोई ठोस कदम न उठाया जाए।
पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने सितंबर में कहा था कि भारतीय सेना जून 2015 से ही 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्रामइक की तैयारी कर रही थी। सुहाग ने यह भी जोड़ा था कि अगर जरूरत पड़ी तो आगे भी सर्जिकल स्ट्रालइक किए जा सकते हैं। हुड्डा चंडीगढ़ में सैन्यह साहित्यि महोत्सीव 2018 के मौके पर आए हुए थे। इसमें सेना के कई पूर्व वरिष्ठा अफसरों ने भी हिस्साढ लिया था।
