लखनऊ। सियासत की भाषा आसान नहीं होती है। इसे समझना पड़ता है। 2014 में करारी हार के बाद कांग्रेस को यकीन हो चला था कि देश के जनमानस में ये धारणा बन चुकी थी कि उसने एक बड़े वर्ग को नजरंदाज किया था। इसके लिए कांग्रेस ने ए के एंटनी की अगुवाई में एक कमेटी बनाई थी। कमेटी भी इस निष्कर्ष के साथ सामने आई कि निश्चित तौर पर कांग्रेस की छवि गैर हिंदुओ वाली पार्टी के रूप में बन गई थी। इससे सबक लेते हुए गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने उस छवि को तोड़ने की कोशिश की। राहुल गांधी के मंदिर राजनीति का फायदा कांग्रेस को मिला भी। अब शायद उस लाभ को अपने पाले में करने के लिए एसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंदिर राजनीति पर आगे बढ़ने का फैसला किया है।
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले मंदिर राजनीति में कूदते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार को ऐलान किया कि भगवान विष्णु का नगर विकसित किया जाएगा, जिसमें भव्य मंदिर होगा और यह मंदिर कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की ही तरह होगा। अखिलेश ने कहा, ‘हम भगवान विष्णु के नाम पर लायर सफारी (इटावा) के निकट 2000 एकड़ से अधिक भूमि पर नगर विकसित करेंगे। हमारे पास चंबल के बीहडों में काफी भूमि है। नगर में भगवान विष्णु का भव्य मंदिर होगा। यह मंदिर कंबोडिया के अंगकोरवाट मंदिर की ही तरह होगा।’ उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर राम मंदिर का मुद्दा छेड़ा है। राम मंदिर मुद्दे पर सीधा जवाब देने से बचते हुए अखिलेश ने वादा किया कि अगर सत्ता में आये तो भगवान विष्णु का एक नगर निश्चित तौर पर विकसित किया जाएगा, जिनके अवतार भगवान राम और भगवान कृष्ण थे। अध्ययन के लिए विशेषज्ञों की टीम कंबोडिया भेजी जाएगी।भाजपा पर निशाना साधते हुए अखिलेश ने इसे षड्यंत्रकारियों की पार्टी बताया जो जमीनी स्तर पर कुछ नहीं करती है और वोट के लिए जनता को बेवकूफ बनाती है।