नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में फ्रांस से 36 राफेल लडाकू विमान खरीदे जाने के मामले पर आज अहम सुनवाई चल रही है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच के सामने सरकारी और सौदे की जांच की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं के वकीलों के बीच तीख बहस चल रही है। बता दें कि केंद्र ने कीमत का जो ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा हैं, कोर्ट आज उसकी भी जांच करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद एक अहम निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में भारतीय वायुसेना का पक्ष भी सुने जाने की जरूरत है। कोर्ट ने इसके बाद वायुसेना के अधिकारियों को समन जारी कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिककर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण के लिए उस समय थोड़ा असहज स्थिति पैदा हो गई, जब चीफ जस्टिस गोगोई ने एक नोट में दिए तथ्यों को लेकर उन्हें टोक दिया। प्रशांत भूषण सरकार से राफेल की कीमतों का खुलासा करने की मांग कर रहे थे। प्रशांत भूषण की एक दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें तल्ख अंदाज में कहा कि जितना इस केस के लिए जरूरी है, वह उतना ही बोलें। दरअसल भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में एक दस्तावेज दाखिल किया। सुप्रीम कोर्ट ने उसमें एक गलती पकड़ते हुए कहा कि जल्दबाजी में जानकारी न दें। इसके बाद भूषण ने भी माना कि उनसे जल्दबाजी में गलती हुई है। प्रशांत भूषण ने कहा कि कीमत के मामले पर कोई भी गोपीय मुद्दा नहीं हो सकता, क्योंकि सरकार ने खुद संसद में इसके दाम बताए हैं। यह एक बोगस दलील है कि सरकार गोपनीयता के नाम पर कीमत की जानकारी नहीं दे सकती। भूषण का कहना है कि राफेल की कीमत पूरानी डील के मुकाबले 40 प्रतिशत महंगी हुई है।
इस दौरान जब प्रशांत भूषण ने एक दस्तावेज पढ़ना शुरू किया तो एजी ने उन्हें रोकते हुए कहा कि यह गोपनीय दस्तावेज है। एजी ने कोर्ट से प्रशांत भूषण का इस जानकारी का सूत्र बताने की मांग की। अपनी दलीलों के दौरान प्रशांत भूषण ने सरकार की दलीलों को बोगस बताया। उन्होंने राफेल की कीमतों की गोपनीयता पर भी सवाल उठाया। भूषण ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सिर्फ और सिर्फ अनिल अंबानी को फायदा पहुंचाने के लिए कॉन्ट्रैक्ट के क्लॉज में बदलाव किए गए हैं। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ऐडवोकेट एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार द्वारा दाखिल की गई जानकारी से खुलासा हुआ है कि मई 2015 के बाद फैसला लेने की प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी की गई है। याचिकाकर्ता ने पांच जजों की संवैधानिक पीठ के सामने मामला सुने जाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी है। पूर्व मंत्री और याचिकाकर्ता अरुण शौरी की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सीनियर वकील प्रशांत भूषण, जो खुद भी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं, ने कहा कि सिर्फ तीन परिस्थितियों में ही इंटरगवर्नमेंटल रूट का इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस डील में फ्रांस की सरकार की तरफ से संप्रभुता की कोई गारंटी नहीं दी गई है। वहीं आप नेता संजय सिंह की तरफ से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 36 राफेल एयरक्राफ्ट की कीमत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दो बार बताई है। ऐसे में सरकार की यह दलील कि राफेल की कामतों का खुलासा नहीं किया जा सकता, स्वीकार्य नहीं है।
