97 Views

मुस्लिम वोटों के लिए जारी है सियासी दांव-पेच

करीमनगर। हैदराबाद में राजनीति करने वाले AIMIM के फायरब्रैंड नेता असदुद्दीन ओवैसी टीवी पर सर्वाधिक दिखने वाले तेलंगाना के मुस्लिम चेहरे हैं लेकिन अगर बात की जाए मुस्लिम वोटों की तो वह इसमें फिसड्डी हैं। विश्लेवषकों की मानें तो उनकी पार्टी AIMIM को शुक्रवार को होने जा रहे तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सबसे ज्याीदा वोट मिलता नहीं दिख रहा है। तेलंगाना की कुल आबादी का 12.7 फीसदी हिस्साह अल्पासंख्यिकों का है। राज्यव की 119 विधानसभा क्षेत्रों में से 40 से 45 सीटों पर अल्पिसंख्य कों का खासा प्रभाव है। विश्लेपषकों के मुताबिक 29 विधानसभा सीटों पर 15 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। 13 सीटों पर 10-15 प्रतिशत मुसलमान हैं। इसके अलावा 43 सीटों पर मुसलमानों की अच्छी् खासी आबादी है।
हैदराबाद, आदिलाबाद, करीमनगर, निजामाबाद, मेडक, सिकंदराबाद और महबूबनगर जिले में बड़ी संख्याल में मुसलमान रहते हैं। ओवैसी ने अपनी छवि एक ऐसे उभरते हुए मुस्लिम नेता की बनाई है जो यूपी, बिहार, कर्नाटक ओर महाराष्ट्रम में अपनी पार्टी का प्रसार करना चाहता है। हालांकि उनकी पार्टी तेलंगाना में मात्र आठ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। AIMIM हैदराबाद के पुराने शहर इलाके की 6 सीटों, सिकंदराबाद में 1 और राजेंद्रनगर में 1 सीट पर चुनाव लड़ रही है। करीमगनर में टीडीपी के एक नेता वजाद अली खान ने कहा, ‘एमआईएम का हैदराबाद के पुराने शहर वाले इलाके को छोड़कर कोई बड़ा प्रभाव नहीं है।’ बता दें कि हैदराबाद के पुराने शहर वाले इलाके में 65 से 70 फीसदी मुस्लिम आबादी है। टीडीपी नेता खान ने कहा, ‘बाकी राज्य में यह कुछ बहुचर्चित हितों के लिए वोट बांटने वाली पार्टी है।’ AIMIM ने 1962 में संयुक्त आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान 1 सीट जीतकर अपना पदार्पण किया था। वर्ष 2014 में पार्टी ने अपना सर्वश्रेष्ठत प्रदर्शन किया और 20 सीटों पर चुनाव लड़कर 7 पर विजय हासिल की। सिरसिला कस्बे0 के मोहम्म द उल्फिकार ने कहा, ‘हैदराबाद के बाहर लोग एमआईएम में ज्याेदा रुचि नहीं लेते हैं क्योंिकि उनकी कट्टरपंथी भाषा और राजनीति उस समाज में तनाव पैदा कर सकती है जहां वे अपने हिंदू साथियों के साथ मिलजुलकर रहते हैं।’ हालांकि बीजेपी का हरेक राष्ट्री य नेता औवेसी पर हमला करता है और वह उसका उसी तरह से जवाब भी देते हैं।
विश्लेिषकों के मुताबिक यह एक जुबानी जंग है जिससे बीजेपी और ओवैसी की पार्टी दोनों को फायदा है। इससे दोनों ही दलों को कांग्रेस के मुकाबले राष्ट्री य स्तीर पर उनकी क्षमता से ज्यानदा जगह मिल रही है। वहीं कांग्रेस पार्टी मुस्लिम और हिंदू दोनों ही वोटों के लिए संघर्ष कर रही है। उधर, AIMIM के विधान परिषद सदस्य‍ जाफरी सैयद अमीन कहते हैं, ‘हालांकि हम केवल 8 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं फिर भी सभी दल हमारी पार्टी को निशाना बना रहे हैं। उन्होंैने हमारे खिलाफ मुस्लिम प्रत्याीशियों को उतार रखा है। इसके जवाब में हमारे समर्थक पुराने शहर में ज्याउदा रैलियां कर रहे हैं।’ कई जिलों में मुसलमानों ने ऐसे संकेत दिए हैं कि उनके समुदाय का एक बड़ा हिस्साथ टीआरएस को समर्थन दे सकता है। ये लोग कार्यवाहक मुख्य मंत्री के चंद्रशेखर राव की शादी मुबारक वित्तीसय योजना, रमजान गिफ्ट, इमामों की सैलरी बढ़ाने से खुश हैं। हालांकि कुछ मुसलमानों में दबी जुबान से यह चर्चा भी है कि टीआरएस और बीजेपी अनौपचारिक सहयोगी के रूप में काम कर रहे हैं। उधर, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन के कारण इस चुनाव में मुस्लिम वोटों के लिए प्रतिस्पहर्द्धा बढ़ गई है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top