नई दिल्ली। भारतीय अरबपतियों के लिए पिछला साल काफी अच्छा रहा। पिछले साल भारत के एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति में 39 प्रतिशत या 2,200 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई। जबकि बाकी की आधी आबादी की संपत्ति केवल 3 प्रतिशत बढ़ी है। यह कहना है ऑक्सफेम स्टडी का जो सोमवार को रिलीज हुई है। वैश्विक तौर पर अमीरों की संपत्ति 12 प्रतिशत या प्रतिदिन के हिसाब से 2.5 बिलियन डॉलर बढ़ी है। दुनिया की बची हुई गरीब जनता की संपत्ति में 11 प्रतिशत की गिरावट आई है। अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह ने अपनी सालाना रिपोर्ट को पांच दिनों के विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक शुरू होने से पहले जारी किया है। ऑक्सफेम का कहना है कि 13.6 करोड़ भारतीय जो देश का 10 प्रतिशत हैं वह 2004 से लगातार कर्ज में डूबा हुआ है।
ऑक्सफेम ने आगे कहा कि यह बढ़ती असमानता गरीबी के खिलाफ लड़ाई को कम कर रहा है, अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहा है और दुनियाभर में लोगों का गुस्सा बढ़ा रहा है। ऑक्सफेम की अतंरराष्ट्रीय कार्यकारी निदेशक विन्नी ब्यानियमा डब्ल्यूईएफ समिट के प्रमुख प्रतिभागियों में से एक हैं उन्होंने कहा, ‘यह नैतिक रूप से अपमानजनक है कि कुछ अमीर व्यक्ति भारत के धन के बढ़ते हिस्से को एकत्र कर रहे हैं। वहीं गरीब अपने खाने और बच्चों की दवाओं का भुगतान करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’विन्नी ने आगे कहा, ‘यदि टॉप एक प्रतिशत और बाकी के भारतीयों के बीच यह असमानता जारी रहती है तो इससे इस देश की सामाजिक और लोकतांत्रिक संरचना का पूरी तरह से पतन हो जाएगा।’ धन के पहले से ज्यादा केंद्रीत होने पर ऑक्सफेम का कहना है कि 3.8 बिलियन लोगों के पास मिलाकर जितनी संपत्ति है उतनी केवल 26 लोगों के पास मौजूद है। यह संख्या आधी गरीब जनता की है।दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस की संपत्ति में 112 बिलियन का इजाफा हुआ है। उनके पास जितना पैसा है वह 115 मिलियन नागरिकों वाले इथियोपिया के स्वास्थ्य बजट के बराबर है। भारत की टॉप 10 प्रतिशत जनसंख्या के पास देश के कुल धन का 77.4 प्रतिशत है। वहीं टॉप 1 प्रतिशत के पास पूरे राष्ट्रीय धन का 51.53 हिस्सा है। वहीं 60 प्रतिशत आबादी के पास केवल 4.8 प्रतिशत धन है। 9 टॉप अरबपतियों के पास 50 प्रतिशत जनसंख्या के बराबर का धन है। ऑक्सफेम का अनुमान है कि 2018 से 2022 के बीच भारत में रोजाना 70 नए अरबपति बनेंगे।
