नई दिल्ली। भारत में राजमार्ग विकास के अगले चरण में राजमार्ग निर्माण पर ध्यान केंद्रीत किया जाएगा। भारतमाला के दूसरे चरण में केंद्र सरकार ने 3,000 किलोमीटर रोड और लगभग 4,000 किलोमीटर नए ग्रीनफील्ड हाईवे बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसमें वाराणसी-रांची-कोलकाता, इंदौर-मुंबई, बंगलूरू-पुणे और चेन्नई-त्रिची शामिल है। इस परियोजना की शुरुआत से पहले भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) जरूरी तैयारियां करने में जुटा हुआ है।
एनएचएआई ने परियोजना तैयार करने के लिए बोलियां आमंत्रित की है ताकि पहले चरण की परियोजना खत्म होने के बाद जल्द ही दूसरे चरण पर काम शुरू किया जा सके। राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘हमें भारतमाला के पहले चरण के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने में करीब दो सालों का समय लग गया। अगली बहुत सी परियोजनाओं के लिए डीपीआर तैयार करने से समय बचाने में मदद मिलेगी और तेजी से निष्पादन के लिए उच्च गुणवत्ता वाली विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।’
हाईवे परियोजना के निष्पादन में हुई देरी के लिए खराब डीपीआर एक बहुत बड़ा कारण रहा है और सरकार अक्सर पूरक कार्यों को बढ़ावा देती है जिससे कि योजना लागत बढ़ जाती है। ऐसी परिस्थितियों से बचने के लिए ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए कंपनियों को आमंत्रित किया गया है। इसका उद्देश्य दूरी और यात्रा कम करना है। सरकार ने कारों के लिए राजमार्गों पर अधिकतम गति सीमा को 120 किलोमीटर प्रति घंटा अधिसूचित किया है। अभी तक राजमार्ग निर्माण बड़े पैमाने पर मौजूदा सड़कों के विस्तार और चौड़ीकरण के तौर पर ही होता रहा है।केंद्र सरकार ने कुछ मुख्य शहरों के बीच लगभग 4,000 किलोमीटर के नए ग्रीनफील्ड हाईवे निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है। परियोजना के तहत पटना से राउरकेला, झांसी से रायपुर, सोलापुर से बेलगाम, गोरखपुर से बरेली और वाराणसी से गोरखपुर के बीच नए राजमार्ग बनाए जाएंगे। इन शहरों के मौजूदा रोड कॉरिडोर को विस्तार देने की बजाए ग्रीनफील्ड हाईवे का निर्माण किया जाएगा। इससे जमीन अधिग्रहित करने में होने वाली देरी, जमीन लेने के लिए दी जाने वाली ज्यादा कीमत और अतिक्रमण हटाने जैसी समस्याओं से बचा जा सकेगा।
