कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘आयुष्मान भारत योजना’ से हटने का फैसला करते हुए कहा कि राज्य अब योजना के लिए 40 पर्सेंट फंड नहीं देगा। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार इस योजना को चलाना चाहती है तो पूरा का पूरा पैसा उसे ही देना पड़ेगा। बताते चलें कि इस योजना को 25 सितंबर 2018 से देशभर में लागू किया गया है। वहीं, केंद्र के अधिकारियों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस की सरकार ने इस बारे में केंद्र सरकार को लिखा है कि योजना से बाहर निकलने के बंगाल सरकार के फैसले को अधिसूचित किया जाए। ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाते हुए कहा कि वह राज्य के योगदान की अनदेखी कर स्वास्थ्य योजनाओं का सारा श्रेय खुद ले रहे हैं। वह डाकघरों के माध्यम से बंगाल के लोगों को पत्र भेजकर इस योजना का क्रेडिट खुद को दे रहे हैं। इन पत्रों में मोदी की फोटो लगी है। जब इसका श्रेय वह खुद ले रहे हैं तो पैसे भी उन्हीं को देना चाहिए।
ममता ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपनी पार्टी को फायदा पहुंचाने के लिए डाकघरों का इस्तेमाल कर रहे हैं। ममता ने कहा कि हमारे पास आयुष्मान योजना से भी बेहतर एक योजना आरोग्यश्री है। ममता ने कहा कि बंगाल में किसी को भी चिकित्सा के लिए पैसे चुकाने नहीं पड़ते। बिहार-झारखंड में भी ऐसा है। यहां तक कि नेपाल और बांग्लादेश में भी मुफ्त मेडिकल सुविधाएं मिलती हैं। ममता ने कहा, ‘ऐसे में देश का प्रधानमंत्री डर्टी पॉलिटिक्स क्यों खेल रहा है?’ आयुष्मान योजना के लिए केंद्र और राज्य के हिस्से का अनुपात 60:40 तय किया गया है। आयुष्मान भारत एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है जो 10 करोड़ गरीब और कमजोर परिवारों को 5 लाख रुपये तक की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराती है। पश्चिम बंगाल सरकार ने 2017 में ऐसी ही एक ‘स्वास्थ्य साथी’ योजना शुरू की थी। जो राज्य के लोगों को पेपरलेस और कैशलेस स्मार्ट कार्ड के आधार पर सुविधाएं देती है। बता दें कि ओडिशा, दिल्ली, केरल और पंजाब चार और ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने आयुष्मान योजना को नहीं अपनाया है।
