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ताजनगरी में मौत बांटते बंदर, नवजात के बाद अब महिला की ली जान

आगरा। सोमवार को उत्तर प्रदेश के आगरा में 12 दिन के बच्चे को मां की गोद से छीनकर बंदर ने मार डाला था। इस घटना के एक दिन बाद ही बंदरों के हमले से एक और महिला की मौत हो गई। 59 साल की महिला पर बंदरों ने हमला कर उसके शरीर में जगह-जगह काटकर बुरी तरह जख्मी कर दिया था। महिला जमीन पर बेहोश हो गई और जब उसके शरीर की हरकत बंद हुई तो बंदर उसे छोड़कर भाग गए। घटना कागारौल इलाके की है। सोमवार को रात साढ़े ग्यारह बजे भूरन देवी खेतों में शौच के लिए गई थी। यहां बंदरों के झुंड ने उनके ऊपर हमला बोल दिया। भूरन देवी की आवाज सुनकर लोग खेतों की तरफ दौड़े लेकिन तब तक बंदर उनके शरीर में दांतों से काटकर कई घाव कर चुके थे। वह जमीन पर बेसुध पड़ी थीं। एसएचओ संजुल पाण्डेय ने बताया कि भूरन देवी को पास के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां मंगलवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। उन्होंने कहा कि भूरन देवी के शरीर में बंदरों के काटने के कई जख्म मिले हैं। घावों से लगातार खून बह रहा था। उन्हें किसी बड़े अस्पताल ले जाया जाता तो शायद उनकी जान बच सकती थी। एसएचओ ने बताया कि भूरन देवी के परिजनों की तरफ से उन्हें कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है। हालांकि पुलिस मामले की जांच कर रही है। भूरन के बेटे विजय सिंह ने बताया कि घटना देर रात हुई थी इसलिए वे लोग उन्हें पास के अस्पताल ले गए थे। घटना को संज्ञान में लेते हुए आगरा के मेयर नवीन जैन ने कहा कि वन विभाग और जिला प्रशासन की लापरवाही से आगरा जिले में बंदरों की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है। अधिकारी इनकी बढ़ती संख्या को कम करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि शहरों के लोगों ने अपने घरों को पिंजरे की तरह करवा लिया है ताकि बंदर घरों के अंदर न आ सकें। पहले नगरपालिका की तरफ से बंदरों को पकड़ने के प्रयास किए गए थे लेकिन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के चलते बंदरों के खिलाफ चल रहा अभियान सफल नहीं हो सका। वन विभाग और जिला प्रशासन कोई चिंता नहीं कर रहा है। मेयर ने कहा कि हम शहर में बंदरों के आतंक की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दी जाएगी। उनसे इस समस्या का समाधान करने को कहा जाएगा। इस मामले में जब डीएफओ आनंद कुमार से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि वन विभाग की अनुमति के बाद बंदरों को पकड़ा जा सकता है और उन्हें सुर सरोवर बर्ड सेंचुरी या चंबल सेंचुरी में छोड़ा जा सकता है। फिलहाल हम लोगों के पास बंदरों को पकड़ने के कोई निर्देश नहीं हैं।

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