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ट्रंप को हल्के में ना लें

डॉनल्ड ट्रंप के २०२४ का राष्ट्रपति चुनाव लडऩे का एलान कर देने से रिपब्लिकन पार्टी के एक हिस्से बेचैनी है। ये हिस्सा अब उन्हें पार्टी के लिए बोझ मानता है। कई रिपब्लिकन सांसदों ने ये बात खुल कर कही है। उनके मुताबिक आठ नवंबर को हुए मिड टर्म चुनावों में राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रति भारी जन असंतोष के बावजूद रिपब्लिकन पार्टी बड़ी जीत दर्ज करने में नाकाम रही। इसका ठीकरा वे ट्रंप पर फोड़ते हैं और यह ध्यान दिलाते हैं कि ट्रंप समर्थित कई खास उम्मीदवार चुनाव हार गए। खबरों के मुताबिक कुछ सांसद अगले छह दिसंबर को जॉर्जिया राज्य से एक सीनेटर के होने वाले चुनाव के नतीजों का इंतजार कर रहे हैँ। आठ नवंबर को वहां हुए चुनाव में कोई उम्मीदवार ५० प्रतिशत से अधिक वोट हासिल नहीं कर सका। इसलिए अब वहां दोबारा मतदान होगा। कई रिपब्लिकन नेताओं की नजर यह देखने पर टिकी है ट्रंप की उम्मीदवारी की घोषणा का जॉर्जिया के मतदाताओं पर कैसा असर होता है। लेकिन रिपब्लिकन के कई नेता ऐसे भी हैं, जो खुल कर ट्रंप के समर्थन में सामने आ गए हैँ।
जनमत सर्वेक्षणों से भी सामने आया है कि रिपब्लिकन समर्थक मतदाताओं में ट्रंप की लोकप्रियता का ऊंचा स्तर बना हुआ है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की तरफ से बीते अक्टूबर में कराए गए एक सर्वे में ९३ प्रतिशत रिपब्लिकन समर्थक मतदाताओं ने राष्ट्रपति के रूप में ट्रंप के कामकाज की तारीफ की थी। ट्रंप की उम्मीदवारी की घोषणा के बाद हुए सर्वेक्षणों से इस नतीजे की पुष्टि हुई है। सर्वेक्षणों के मुताबिक रिपब्लिकन समर्थकों मतदाताओं के बीच रॉन डिसैंटिस की तुलना में ट्रंप अधिक लोकप्रिय हैँ। इसके बावजूद रिपब्लिकन पार्टी को चंदा देने वाली कई कंपनियां ट्रंप से किनारा करती दिख रही हैँ। लेकिन ट्रंप आम धारणा को झुठलाने वाले नेता रहे हैँ। २०१६ में भी उनकी जीत की संभावना किसी ने नहीं जताई थी। लेकिन उन्होंने साबित किया कि वे अमेरिका में जड़ जमा चुकी एक परिघटना की नुमाइंदगी करते हैँ। ऐसे में वे एक बार फिर कही जा रही तमाम बातों को झूठला दें, तो उस पर इस बार किसी को आश्चर्य नहीं होगा।

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