ओटावा। टाइटैनिक जहाज तो सभी को याद होगा। क्यों नहीं, उस पर हिट फिल्में तक बन चुकी हैं। खैर आपकों बता दें इस जहाज का 10 अप्रैल से गहरा रिश्ता है। यह अभागा जहाज 10 अप्रैल के दिन ही ब्रिटेन के साउथेम्पटन बंदरगाह से अपनी पहली और अंतिम यात्रा पर निकला था। इसी जहाज को लेकर 1997 में फिल्म टाइटैनिक आई थी, जेम्स कैमरन की यह शानदार फिल्म, विशाल जहाज के डैक पर बांहें फैलाए खड़े लियोनार्डो डी कैप्रियो और केट विंस्लेट, नीले हीरे वाली माला और पानी का रौद्र रूप, सभी के दिमाग पर छा गया। लेकिन हम फिल्म की नहीं, हकीकत की बात कर रहे हैं। यह हादसा इस बात का गवाह है कि अति महत्वकांक्षाएं आपके साथ कैसा सुलूक कर सकती हैं। यह सच है कि टाइटैनिक के साथ जो कुछ भी हुआ उसके पीछे सबसे बड़ा हाथ विलासिता और अतिमहत्वकांक्षा का था। इटैनिक दुनिया का सबसे बड़ा भाप आधारित यात्री जहाज कहा जाता था। साउथहैम्पटन (इंग्लैंड) से अपनी पहली यात्रा पर यह जहाज 10 अप्रैल 1912 को रवाना हुआ और चार दिन बाद 14 अप्रैल 1912 को एक आइसबर्ग से टकरा गया। इस दुर्घटना में इस जहाज के डूबने के साथ ही 1,517 लोगों की मौत हो गई और यह इतिहास की सबसे बड़ी शांतिकाल में हुई समुद्री आपदा बन गईं। ओलंपिक श्रेणी का यात्री लाइनर टाइटैनिक का संचालन व्हाइट स्टार लाइन शिपिंग कंपनी कर रही थी। इसका निर्माण बेलफास्ट के हॉर्लेंड और बोल्फ शिपयार्ड में किया गया था। यह जहाज 2,223 यात्रियों के साथ न्यूयॉर्क शहर के लिए रवाना हुआ था। इसकी डूबने की वजह इसकी गति को बताया गया था।



