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गर्लफ्रेंड से थी नजदीकी, मामा ने भांजे को मारकर ‘फूलों के बिस्तर’ में छिपा दिया था शव

नई दिल्ली। ‘मैंने आखिरी बार उसे एक दोस्त के साथ पार्टी में जाते देखा था। उसके बाद वह कहां गया मुझे नहीं मालूम।’ बिजय कुमार महाराणा से जब भी उनकी बहन अपने लापता बेटे के बारे में पूछती थीं, तो वह यही बताता था। अपने लापता बेटे को खोजने वह फरवरी 2016 में दिल्ली आई थीं। हालांकि उस आभागी मां को यह नहीं पता था कि वह अपने बेटे के शव से बस कुछ मीटर की दूरी पर है। उसके बेटे का शव बालकनी में ‘फूलों के बिस्तर’ के नीचे छिपाया गय़ा था, जिसे उसके धोखेबाज भाई ने मार डाला था। दिल्ली में डाबड़ी इलाके में एक फ्लैट की बालकनी से मिले कंकाल में हुआ यह नया खुलासा तो और हैरान करना वाला है। दरअसल मृतक के रिश्ते के मामा ने उसे बेरहमी से मारकर उसका शव बालकनी में ‘फूलों के बिस्तर’ में डाल दिया था। पुलिस ने बड़ी मशक्कत के बाद आरोपी बिजय को हैदराबाद से गिरफ्तार करने में सफलता पाई।
जानकारी के मुताबिक, साल 2015 में जय प्रकाश दिल्ली में अपने मामा बिजय कुमार के पास रहने के लिए आया था। इस दौरान बिजय की उस समय रही गर्लफ्रेंड जब घर पर आती थी तो जय प्रकाश उससे नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करता। यह बात बिजय को पसंद नहीं आई। आरोपी ने बताया कि जय प्रकाश उसकी गर्लफ्रेंड से मेसेज पर भी बात करता था, लेकिन इस बारे में पूछे जाने पर उसे मेसेज दिखाता नहीं था। उसी दौरान बिजय जुए में बड़ी राशि हार गया। इन सब चीजों को लेकर बिजय के मन में अपने भांजे के लिए गुस्सा बढ़ता गया। आरोपी के मुताबिक, एक दिन उसने पंखे की मोटर से जय प्रकाश के सिर पर वार किया और उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उसने शव को बालकनी में बने गार्डन की मिट्टी में गाड़ दिया और फिर उस पर फूल लगा दिए। साल 2016 में हुई इस घटना के बारे में किसी को पता नहीं चल सका। पुलिस ने बताया कि बिजय ने अपने आप को बचाने के लिए खुद पुलिस थाने जाकर भांजे के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इसके तीन महीने बाद उसने फ्लैट छोड़ दिया और फिर दिल्ली से भी चला गया। साल 2018 के अक्टूबर में जब फ्लैट के मकान मालिक ने कुछ काम करवाया और गार्डन की मिट्टी निकाली गई तो उसमें कंकाल मिला, साथ में ब्लू जैकेट भी मिली। कंकाल का जब डीएनए टेस्ट किया गया तो उसका जय प्रकाश के डीएनए से मिलान हो गया। डीसीपी राजेंद्र सिंह ने गुरुवार को बताया कि इंस्पेक्टर राज कुमार के नेतृत्व में टीम ने तीन महीने पीछा करने के बाद आरोपी बिजय को हैदराबाद से पकड़ा था। जांच अधिकारी ने बताया कि बिजय ने अपना हुलिया बदल लिया था और इस समय हैदराबाद के एक फर्म में एचआर मैनेजर के तौर पर काम कर रहा था। अधिकारी ने बताया कि पिछले दो साल से वह अपने परिवारवालों से सारे संपर्क खत्म कर लिए थे।

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