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कॉप२७ : कार्यान्वयन का ‘कॉप’ – भूपेंद्र यादव

२७वां पार्टियों का सम्मेलन (कॉप२७) हाल ही में समाप्त हुआ और कई चुनौतियों तथा विचारों में भिन्नता के बावजूद, सदस्य देशों ने जटिल मुद्दों के समाधान के प्रयास किए। कॉप२७ को कार्यान्वयन के लिए कॉप का ब्रांड नाम दिए जाने के साथ, प्रमुख मुद्दों पर महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए, जिनमें प्रमुख हैं- हानि और क्षति वित्त पोषण पर समझौता; अनुकूलन और शमन कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना, जो उत्सर्जन में कमी का मुकाबला करता है और प्रभावी कार्यान्वयन को गति प्रदान करता है तथा जो वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तरों से १.५ डिग्री सेल्सियस ऊपर रखने के अधिक महत्वाकांक्षी पेरिस समझौते के लक्ष्य की ओर आगे बढऩे के लिए वैश्विक समुदाय को प्रेरित करता है।
भारत की दृष्टि से कॉप२७ के परिणाम महत्वपूर्ण रहे हैं, क्योंकि एक देश के रूप भारत के या विकासशील देशों की सामूहिक आवाज के रूप में भारत द्वारा प्रस्तावित चिंताओं, विचारों और सुझावों को उचित महत्व दिया गया है। शर्म अल-शेख कार्यान्वयन योजना मानती है कि ग्लोबल वार्मिंग को १.५ डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए २०१९ के स्तर की तुलना में २०३० तक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में ४३ प्रतिशत की तेज और निरंतर कमी किए जाने की आवश्यकता है। योजना यह भी स्वीकार करती है कि विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में एवं सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के प्रयासों के संदर्भ में सामान्य लेकिन पृथक जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं [सीबीडीआर-आरसी] को दर्शाते हुए, न्यायपूर्ण और सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक ज्ञान के आधार पर, इस महत्वपूर्ण दशक में त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है।
भारत, राष्ट्रों के लिए जलवायु कार्रवाई लक्ष्यों को निर्धारित करने और इन्हें पूरा करने में सीबीडीआर-आरसी दृष्टिकोण अपनाने का मुखर समर्थक रहा है, ताकि जलवायु परिवर्तन की अनिश्चितताओं से पृथ्वी को बचाने की इस संयुक्त लड़ाई में हम ऐतिहासिक प्रदूषण फैलाने वाले देशों और तकनीकी व वित्तीय अंतर के प्रति सचेत रहें तथा हरित विश्व निर्माण के लिए विकासशील देशों को शामिल किए जाने की आवश्यकता सुनिश्चित की जा सके।
कार्यान्वयन योजना ने पार्टियों से आग्रह किया, जिन्होंने अभी तक नए या अद्यतन राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदानों की जानकारी नहीं दी है, वे जल्द से जल्द इसे पूरा करें। भारत न केवल उन २९ देशों में शामिल है, जिन्होंने सीओपी२६ के बाद अपने बढ़े हुए एनडीसी प्रस्तुत किए हैं, बल्कि उन ६० से कम देशों की उस सूची में भी मौजूद है, जिन्होंने ग्लासगो में अपनी शुद्ध शून्य घोषणा के एक वर्ष के भीतर अपनी दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीतियां प्रस्तुत की हैं। ये कदम, जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने के प्रयास का हिस्सा बनने के सन्दर्भ में नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
देशों को निम्न-कार्बन उत्सर्जन की ओर बढऩे के लिए एक कार्ययोजना तैयार करते हुए, कॉप२७ कार्यान्वयन योजना राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुरूप सबसे गरीब और सबसे कमजोर देशों को लक्ष्य-आधारित समर्थन देने और एक न्यायपूर्ण परिवर्तन की दिशा में समर्थन की आवश्यकता की पहचान करने का आह्वान करती है। इसने मान्यता दी कि विकासशील देशों को दिया गया अधिक समर्थन, उनकी कार्रवाई संबंधी उच्च महत्वाकांक्षा को अनुमति प्रदान करेगा।
भारत ने इस बात को रेखांकित किया कि अधिकांश विकासशील देशों के लिए न्यायपूर्ण बदलाव की तुलना सिर्फ कार्बनीकरण को कम करने से नहीं की जा सकती है, लेकिन कम-कार्बन उत्सर्जन के साथ; विकासशील देशों को, अपनी पसंद के ऊर्जा मिश्रण तथा एसडीजी हासिल करने में, स्वतंत्रता की आवश्यकता है।
कॉप२७ ने सभी जलवायु कार्रवाईयों- न कि केवल शमन, बल्कि शमन, अनुकूलन, वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण- पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व को रेखांकित किया।
कॉप२७ योजना ने गंभीर चिंता के साथ, जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव से मुकाबले के लिए अनुकूलन के मौजूदा स्तरों और उन स्तरों, जिनकी आवश्यकता है, के बीच मौजूदा अंतर को; जलवायु परिवर्तन छठी आकलन रिपोर्ट पर अंतर-सरकारी पैनल के सन्दर्भ में कार्य समूह के योगदान के निष्कर्षों के अनुरूप बताया।
इसने पार्टियों से क्षमता बढ़ाने, सहनीयता को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन के प्रति खतरे को कम करने के लिए एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया। इसने विकासशील देशों से जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और अनुकूलन के लिए क्षमता निर्माण संबंधी अपने प्रावधान को तत्काल और महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाने का आग्रह किया, ताकि विकासशील देशों की जरूरतों का समाधान किया जा सके। भारत ने लंबे समय से अनुकूलन को उचित महत्व देने और विकासशील देशों की जरूरतों के पैमाने के अनुरूप संसाधनों के पैमाने पर चर्चा करने की तत्काल आवश्यकता पर अपनी लड़ाई को जारी रखा है।
कॉप२७ कार्यान्वयन योजना इस बात पर जोर देती है कि उचित और न्यायसंगत बदलाव के उपायों में ऊर्जा, सामाजिक आर्थिक, कार्यबल और अन्य आयाम शामिल हैं, जिनमें से सामाजिक सुरक्षा समेत सभी को राष्ट्रीय स्तर पर परिभाषित विकास प्राथमिकताओं पर आधारित होना चाहिए, ताकि परिवर्तन से जुड़े संभावित प्रभावों को कम किया जा सके। इस योजना में, सामाजिक एकजुटता तथा लागू उपायों के प्रभावों को कम करने से संबंधित उपकरणों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है।
योजना दस्तावेज़ ने सार्थक शमन कार्रवाई और कार्यान्वयन पर पारदर्शिता के संदर्भ में विकसित देशों का २०२० तक प्रति वर्ष संयुक्त रूप से १०० बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाने का लक्ष्य अभी तक पूरा नहीं होने … पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
भारत के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण आयाम, शर्म अल-शेख कार्यान्वयन योजना के प्रस्तावना निर्णय में ‘जलवायु परिवर्तन के समाधान के प्रयासों में सतत जीवनशैली अपनाना तथा उपभोग और उत्पादन के स्थायी प्रारूप की दिशा में बदलाव को शामिल किया जाना है। यह कदम ‘मिशन लाइफ’ के अनुरूप है, जो संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के साथ भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा २० अक्टूबर को शुरू की गई ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ को बढ़ावा देता है।
कॉप२७, पेरिस समझौते के तहत जलवायु वित्त पर नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य की ओर आगे बढऩे के लिए भी मंच तैयार करता है। इसने जलवायु वित्त पर नए सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (एनसीक्यूजी) पर विचार-विमर्श में ठोस प्रगति की आवश्यकता को स्वीकार किया, जो मात्रा, गुणवत्ता, पहुंच और धन के स्रोतों समेत विकासशील देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं जैसे विषयों पर भी विचार करेगा।
कार्यान्वयन योजना दस्तावेज़, जलवायु न्याय पर केंद्रित है, जो विकासशील देशों द्वारा सामना की जा रही चिंताओं और मुद्दों का समाधान करता है। भारत के सुझावों को कॉप२७ के निर्णयों में शामिल किया गया। प्रधानमंत्री मोदी, जिनके नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय पहल हुई हैं, ने बार-बार दोहराया है कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में कोई भी देश पीछे नहीं छूटना चाहिए। भारत ने जलवायु परिवर्तन की अनियमितताओं के प्रति सबसे संवेदनशील देशों के लिए एक विशेष कार्ययोजना तैयार की है और जलवायु वार्ताओं में जलवायु न्याय की मांग की है।
कॉप२७ ने वित्त से लेकर अनुकूलन तक सभी क्षेत्रों में तत्काल कार्रवाई और वादों के कार्यान्वयन के लिए आवाज बुलंद की है। भारत जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान देता है और उम्मीद करता है कि वैश्विक समुदाय, विशेष रूप से विकसित देश भी अपने वादे को पूरा करेंगे।
(लेखक केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन तथा श्रम और रोजगार मंत्री हैं।)

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