टोरंटो। पूरे विश्व में तबाही मचा चुके कोरोना को लेकर अब एक डराने वाली रिपोर्ट सामने आई है। विश्व की प्रमुख स्वास्थ्य पत्रिका लैंसेट में एक अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस हवा के साथ तेजी से फैलता है। सॉर्स कोव-2 वायरस को लेकर अब तक प्रकाशित अध्ययनों की एक समीक्षा रिपोर्ट ब्रिटेन, अमेरिका व कैनेडा के वैज्ञानिकों ने तैयार की है। इस समीक्षा रिपोर्ट की मुख्य लेखिका ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की त्रिश ग्रीनहाल हैं। उनका दावा है कि वक्त आ गया है जब विश्व स्वास्थ्य संगठन को वायरस के संक्रमण की परिभाषा बदलने की जरूरत है। अब मास्क, सुरक्षित शारीरिक दूरी जैसे कोरोना से बचाव काफी नहीं होंगे। अब यदि बात करें तो शोध के तरीके की तो कोरोना अध्ययनों की नई समीक्षा में कागिट कॉयर इवेंट की गई। इसमें एक संक्रमित व्यक्ति को शामिल किया गया। वह सुपर स्प्रेडर साबित हुआ और उसने 53 लोगों को संक्रमित कर दिया। इनमें से कई लोग तो आपस में संपर्क में भी नहीं आए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि यह हवा में व्याप्त कोरोना वायरस से संक्रमित हुए। असल में माना जा रहा है कि यह बंद जगह में तेजी से फैलता है। वहीं 40 प्रतिशत वायरस ट्रांसमिशन ऐसे लोगों से हुआ, जिनमें कोई लक्षण नहीं था। कोरोना वायरस हवा में फैलता है, इसे लेकर 32 देशों के 200 वैज्ञानिकों ने पिछले साल जुलाई में भी डब्ल्यूएचओ को पत्र लिखा था। उन्होंने यह भी कहा था कि छोटे-छोटे ड्रापलेट्स भी किसी को संक्रमित कर सकते हैं। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन को जल्द इस दावे की पुष्टि कर कदम उठाने चाहिए, ताकि संक्रमण को रोका जा सके। विशेषज्ञों ने कहा कि वेंटिलेशन, एयर फिल्टर, भीड़ कम करने, खुले में लोगों को कम रहने देने जैसे उपायों से हवा में फैलने वाले वायरस से बचाव किया जा सकता है। जब भी बंद कमरे में रहे तो भी मास्क पहनें और कार्यस्थल पर पीपीई किट पहनकर काम करने से भी इससे बचा जा सकता है।



