दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की राष्ट्रीय राजनीति का अपना तरीका है। दिल्ली में बैठ कर बयानों के जरिए या चिट्ठी आदि लिख कर राष्ट्रीय राजनीति कर रहे हैं। दिल्ली में चूंकि देश के हर राज्य के लोग रहते हैं तो इससे भी उनको लगता है कि वे दिल्ली में देश भर की राजनीति कर रहे हैं। जैसे उन्होंने गुरुवार को ओणम के मौके पर एक पेज का विज्ञापन छपवाया और बधाई दी। ओणम दक्षिण भारत और खास कर केरल का त्योहार है लेकिन दिल्ली में केजरीवाल ने एक पन्ने का विज्ञापन दिया और साथ ही मलयालम भाषा में ट्विट करके भी बधाई दी। इस तरह उन्होंने केरल की राजनीति कर ली। इस तरह के विज्ञापनों से वे और भी राज्यों की राजनीति करते रहते हैं। विज्ञापन का अस्त्र वैसे तो हर राज्य सरकार के पास है, लेकिन दिल्ली सरकार ने उसको ब्रह्मास्त्र बना लिया है।
इसी तरह उन्होंने प्रधानमंत्री को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें कहा कि देश के ८० फीसदी स्कूल कबाडख़ाना बन गए हैं उनकी स्थिति जर्जर है। अब सवाल है कि इसमें प्रधानमंत्री क्या करें? शिक्षा राज्य सरकार का विषय होता है इसलिए अरविंद केजरीवाल के पास अगर कबाड़ बन गए स्कूलों का कोई सर्वे है, उनका डाटा है तो उस आधार पर उनको राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखनी चाहिए थी। वे राज्यों के मुख्यमंत्रियों और शिक्षा मंत्रियों को चिट्ठी लिख कर बताते कि किस राज्य में कितने स्कूल कबाडख़ाना हो गए हैं। लेकिन उससे राष्ट्रीय राजनीति नहीं होती इसलिए उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी। वे बात बात पर सीधे प्रधानमंत्री को निशाना बनाते हैं ताकि उनकी पार्टी कह सके कि केजरीवाल का मुकाबला मोदी से ही है।
