जम्मू। पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुआ हमला कश्मीर में चल रहे ऑपरेशन ऑल आउट के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। ऑपरेशन ऑल आउट में जैश-ए-मोहम्मद के कई टॉप कमांडर मारे गए। जैश का पाकिस्तान बेस्ड कैडर कमजोर पड़ गया था, लेकिन एक स्थानीय आतंकी के दम पर जैश ने अपने गठन के बाद अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। एक साथ 40 जवानों की शहादत से ऑपरेशन ऑल आउट में अब नए सिरे से नीति बनानी पड़ेगी। भारतीय सेना ने अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर 2017 में 217 और 2018 में 250 आतंकियों को कश्मीर में ढेर कर दिया। इसमें जैश के 80 से अधिक आतंकी है। इनमें 60 तो पाकिस्तान और पीओके के थे। ऑपरेशन ऑल आउट में जैश के कई टॉप कमांडर मारे गए हैं। इनमें नूर तांत्रे, तला राशिद, मसूद अजहर का भतीजा आदि शामिल हैं। जैश कश्मीर में खुद को जीवत रखने के लिए संघर्ष कर रहा था, लेकिन इस हमले ने जैश को मजबूती दी है। जिससे निपटने के लिए सुरक्षा बलों को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी। कश्मीर में अब भी 300 से अधिक स्थानीय आतंकी हैं। इन आतंकियों पर सुरक्षा बलों को शिकंजा कसना होगा। क्योंकि जैश के पास पीओके में अपना कैडर काफी कम है। वह कश्मीर के आतंकियों के दम पर ही अपनी गतिविधियों को जिंदा रखना चाहता है। बेशक पिछले साल 250 से अधिक आतंकी मारे गए, लेकिन 150 से अधिक भर्ती भी हुए हैं। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
