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आपदा में ऐसा अवसर

दुनिया इस समय महंगाई से परेशान है। इस बार खास बात यह है कि ये समस्या सिर्फ ग़रीब या विकासशील देशों में नहीं है। बल्कि विकसित दुनिया भी उतनी ही मुश्किल में है। महंगाई का सबसे बड़ा कारण कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की रिकॉर्ड महंगाई है। असर यह है कि यूरोप में घरों को गर्म करने के लिए मिलने वाली गैस में कटौती हो रही है, जबकि यूरोप से लेकर अमेरिका तक में परिवहन महंगा हो गया है। जाहिर है, इस महंगाई से आम लोग परेशान हैं। लेकिन इसी दौर में दुनिया की सबसे तेल कंपनियों के मुनाफे में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। कच्चे तेल की महंगाई से उनकी तिजोरी भरती चली जा रही है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि ये कंपनियां तिजोरी में आ रहे अरबों डॉलर का इस्तेमाल कारोबार बढ़ाने में नहीं कर रही हैं।
बल्कि उनका ध्यान अपने शेयरों के भाव बढाने पर है। तो हुई अधिक कमाई का इस्तेमाल ये कंपनियां शेयर बाई बैक करने में कर रही हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक सबसे बड़ी तेल कंपनियों- बीपी, शेवरॉन, एक्सन मोबिल, शेल और टोटलएनर्जीज को साझा तौर पर इस वर्ष की दूसरी तिमाही में ६० बिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ। तो अतिरिक्त कमाई का कुछ हिस्से का कंपनियों ने अपना कारोबार बढ़ाने में निवेश जरूर किया, लेकिन ज्यादातर रकम शेयर बाइ-बैक में खर्च कर दी है। पांच बड़ी तेल कंपनियों ने इस वर्ष से जनवरी से जून के बीच २० बिलियन डॉलर शेयर बाइ-बैक पर खर्च किए। साल की दूसरी छमाही में उनके खर्च का यह ट्रेंड जारी रहने की संभावना है। कंपनियों के इस रुख पर सवाल उठाए गए हैं। कहा गया है कि तेल कंपनियां अमेरिकी उपभोक्ताओं की बिना कोई परवाह किए सिर्फ अपने शेयरों के भाव बढ़ाने में जुटी हुई हैं। यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन भी तेल कंपनियो के इस रुख की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने कहा है कि इन कंपनियों ने यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी महंगाई को मुनाफा बढ़ाने का मौका बना लिया है। ब्रिटेन ने अपने यहां की तेल कंपनियों- बीपी और शेल- के ‘असाधारण मुनाफे’ पर विशेष टैक्स लगाने की घोषणा की है। यह उचित कदम है। दुनिया के अन्य देशों को भी इससे सबक लेना चाहिए।

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