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आज राज्यसभा में असली परीक्षा, जानिए क्या है गणित

नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को शिक्षा और नौकरियों में 10 प्रतिशत आरक्षण के लिए संविधान संशोधन बिल को मंगलवार को लोकसभा में मंजूरी मिल गई। आज इसी मुद्दे पर उच्च सदन यानी राज्यसभा में सरकार का असली इम्तिहान है, जहां एनडीए का बहुमत नहीं है। राज्यसभा में अपनी रणनीति को लेकर विपक्षी दलों ने संसद परिसर में आज एक अहम बैठक भी की। खास बात यह है कि अगर इस 124वें संविधान संशोधन विधेयक को आज राज्यसभा की मंजूरी मिल गई, तो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण तत्काल प्रभाव से लागू हो जाएगा। इसके लिए आधे से ज्यादा राज्यों की विधानसभा से मंजूरी की जरूरत नहीं पड़ेगी।
सरकार को लोकसभा में बिल पास कराने में कोई परेशानी नहीं हुई। उपस्थित 326 सदस्यों में से 323 ने बिल के समर्थन में वोट दिया और महज 3 सदस्यों ने विरोध में वोट दिया। सरकार की असली परीक्षा राज्यसभा में है क्योंकि यहां उपस्थित सदस्यों में से दो-तिहाई का समर्थन पाना आसान नहीं होगा। राज्यसभा में 246 सदस्य हैं और अगर सभी सदस्य वोटिंग में हिस्सा लेते हैं तो बिल पास होने के लिए 164 वोटों की जरूरत पड़ेगी। विपक्ष यहां अपने दबदबे का इस्तेमाल कर सकता है। राज्यसभा में कुल 246 सदस्य हैं। बिल को पास करने के लिए कम से कम दो-तिहाई वोट की जरूरत तो है ही, साथ में यह भी जरूरी है कि वोटिंग में कम से कम आधे सदस्य मौजूद रहे यानी कम से कम 123 सदस्यों का वोटिंग में हिस्सा लेना जरूरी है। कांग्रेस ने भले ही बिल का समर्थन किया है लेकिन उसने लोकसभा में बहस के दौरान बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग की थी। ऐसे में बिल पर राज्यसभा में कांग्रेस के रुख में बदलाव दिखे तो हैरानी नहीं होगी। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी यहां अपने दबदबे का इस्तेमाल बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजे जाने के लिए कर सकती है। इसके अलावा डीएमके, एआईएडीएमके, समाजवादी पार्टी और दूसरे विपक्षी दल भी यहां पुरजोर विरोध कर सकते हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को लोकसभा में बिल पर बहस के दौरान विपक्ष के सवालों और बिल को लेकर उनकी आशंकाओं को तर्कों के साथ खारिज किया। जेटली ने बताया कि क्यों संविधान संशोधन बिल होने के बावजूद इसे राज्यों की मंजूरी की जरूरत नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह संविधान संशोधन दूसरे संविधान संशोधनों से अलग है। जेटली ने कहा कि संविधान के आर्टिकल 15 और 16 में संशोधन करके नया क्लॉज जोड़ा जा रहा है, लिहाजा दोनों सदनों से पारित होने के साथ ही यह प्रभावी हो जाएगा। बता दें कि संविधान संशोधन बिल को दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से पास कराने के साथ-साथ कम से कम आधे राज्यों की विधानसभाओं से भी मंजूरी चाहिए होती है।
लोकसभा में बहस के दौरान विपक्षी सदस्यों ने यह भी सवाल उठाया कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय की है। 10 प्रतिशत जनरल कोटा के साथ यह 59.5 प्रतिशत हो जाएगा, लिहाजा यह सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा। विपक्ष की इस शंका को निराधार बताते हुए जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग को लेकर तय की है। इससे पहले, जनरल कोटा की कोशिशें कोर्ट में इसलिए नहीं टिक पाई क्योंकि संविधान में आर्थक आधार पर आरक्षण का प्रावधान नहीं था। इस बार, संविधान संशोधन के जरिए यह प्रावधान किया जा रहा है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में कोई दिक्कत नहीं आएगी। अरुण जेटली ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 50 फीसदी की अधिकतम आरक्षण की सीमा की वजह से कई राज्य ने पहले ऐसे आरक्षण लागू करने की कोशिश की, लेकिन वैसे कानूनों के लिए सोर्स ऑफ पावर नहीं था, इसलिए इन्हें लागू नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि यह न्यायिक समीक्षा में इसलिए टिकेगा क्योंकि इस विधेयक के जरिए संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 में संशोधन किया गया है। संविधान की मूल प्रस्तावना में सभी नागरिकों के विकास के लिए समान अवसर देने की बात कही गयी है और यह विधेयक उसी लक्ष्य को पूरा करता है।

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