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अल-कायदा को छोड़ जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हुआ था पुलवामा का हमलावर आदिल

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने हमले को अंजाम दिया था। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। पूरे मामले को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। आदिल को लेकर यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पर उसका अचानक झुकाव पैदा नहीं हुआ बल्कि जब उसने जैश जॉइन किया था, उससे पहले ही वह कट्टरपंथी बन चुका था। बता दें कि जैश-ए-मोहम्मद देवबंदी आतंकी संगठन है। सूत्रों ने बताया कि आदिल कश्मीर से संचालित जाकिर मूसा के नेतृत्व वाले अंसार गजवत-अल-हिंद का भी सदस्य था, इस संगठन के बारे में दावा किया जाता है कि यह अल-कायदा से जुड़ा हुआ है। यह जुलाई 2017 में अस्तित्व में आया था लेकिन अब सुरक्षाबलों ने इसके ज्यादातर सदस्यों को मार गिराया है। सूत्र बताते हैं कि जब आदिल ने 20 साल की उम्र में अंसार गजवत-अल-हिंद जॉइन किया था, तभी वह पूरी तरह से कट्टरपंथी हो चुका था। हालांकि, इसके बाद वह जल्द ही जैश-ए-मोहम्मद में शामिल हो गया। माना जाता है कि शायद उसे ऐसा लगता था कि जिहादी के रूप अल-कायदा से जुड़ा संगठन बहुत छोटी योजनाओं तक सीमित है।
कश्मीर में हुए सबसे घातक हमले को लेकर सूत्रों का कहना है कि हो सकता है कि जैश चीफ मौलाना मसूद अजहर और उसका भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर अपना भावलपुर स्थित हेडक्वार्टर छोड़कर पाकिस्तानी मिलिटरी और आईएसआई के किसी सुरक्षित ठिकाने पर चले गए हों। खूंख्वार इरादों के साथ पीओके के रास्ते पिछले वर्ष (2018) मई-जून महीने में मसूद अजहर का भतीजा मोहम्मद उमर भारत में दाखिल हो गया था, हमले में उसकी भूमिका की भी सुरक्षा एजेंसिया जांच कर रही हैं। इंटेलिजेंस इनपुट के मुताबिक, जब मई-जून महीने के करीब उमर भारत आया था तो जैश-ए-मोहम्मद ने अब्दुल रऊफ असगर के पूर्व में बॉडीगार्ड रहे मोहम्मद इब्राहिम उर्फ इस्माइल को जम्मू-कश्मीर के रास्ते दिल्ली भेजा। इनपुट में इस बात का भी जिक्र किया गया कि उमर और इस्माइल को निर्देश दिया गया था कि वे दिल्ली में फिदायीन अटैक के मद्देनजर विस्फोटक समेत सभी चीजों का इंतजाम करें। इस्माइल सीधे तौर पर मुफ्ती रऊफ असगर के संपर्क में था, जो कि अमेरिका द्वारा घोषित आतंकवादी है। भारत में उनकी यात्रा अप्रैल 2018 में जैश-ए-मोहम्मद के शीर्ष नेताओं की मनशेरा, खैबर पख्तूनख्वा कैंप में आयोजित बैठक के बाद हुई। इस बैठक में ही उन्होंने भारत में एक बड़े हमले की योजना बनाई थी, जिससे अजहर के भतीजे ताल्हा रशीद की मौत का बदला लिया जा सके। ताल्हा रशीद को सुरक्षाबलों ने नवंबर 2017 में मार गिराया था।

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