105 Views

अर्थव्यवस्था : भारत की मजबूती दिखती है – सतीश सिंह

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष २०२३ की सितम्बर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर ६.३ प्रतिशत रही और अनुमान है कि आगामी तिमाहियों में इसमें सुधार आएगा और चालू वित्त वर्ष में यह ७.०० प्रतिशत के आसपास रहेगी।
उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर १३.५प्रतिशत रही थी। केंद्रीय बैंक की तरह रॉयटर्स और ब्लूमबर्ग ने भी सितम्बर तिमाही में जीडीपी वृद्धि के ६.२ प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
सितम्बर तिमाही में सेवा क्षेत्र के तहत व्यापार, होटल व परिवहन, वित्तीय व रियल एस्टेट एवं लोक प्रशासन व अन्य सेवाओं में ९.३ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जिससे जीडीपी, अनुमानित वृद्धि दर को बरकरार रखने में सफल रहा। इस अवधि में विनिर्माण क्षेत्र में ४.३ प्रतिशत का संकुचन दर्ज किया गया, क्योंकि बैंकों द्वारा ऋण ब्याज दर बढ़ाने और महंगाई की वजह से कंपनियों की इनपुट लागत बढ़ी और उनका मुनाफा मार्जिन प्रभावित हुआ, जिससे विनिर्माण गतिविधियां बाधित हुई।
सेवा क्षेत्र यानी व्यापार, होटल, परिवहन आदि सेवाओं में पहली बार वृद्धि की रफ्तार वित्त वर्ष २०२० की सितम्बर तिमाही की तुलना में २.१ प्रतिशत अधिक रही और कोरोना महामारी के पहले के मुकाबले जीडीपी में कुल ७.६ प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। वित्त वर्ष २०२३ की दूसरी तिमाही में बुनियादी कीमत पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में ५.६ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। पिछले साल की तुलना में शुद्ध आयात भी लगभग दोगुना हो गया और सालाना आधार पर इसमें ८९ प्रतिशत की वृद्धि हुई। निजी खर्च में वृद्धि ९.७ प्रतिशत दर्ज की गई, क्योंकि उपभोक्ताओं ने महंगाई के दबाव के बावजूद अधिक कीमत वाले सामानों पर ज्यादा खर्च किया, जबकि सरकारी खर्च में ४.४ प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, जो इस बात का संकेत है कि आमजन खर्च करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं और केंद्र व राज्य सरकारों ने सितम्बर तिमाही के दौरान अपने खर्च पर नियंत्रण रखने में सफल रही हैं।
भारत का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अक्टूबर महीने के ५५.३ से थोड़ा बढ़कर नवम्बर महीने में ५५.७ हो गया। यह नये ऑर्डर, उत्पादन में वृद्धि और महंगाई में आई आंशिक कमी की वजह से ३ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया। पीएमआई में वृद्धि इस बात का संकेत है कि विनिर्माण की गतिविधियों में तेजी आ रही है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एसएंडपी के अनुसार भी विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन और मांग में सुधार दृष्टिगत हो रहा है। अक्तूबर महीने में महंगाई में आंशिक कमी आने से कंपनियों के इनपुट लागत में भी कमी दृष्टिगोचर हो रही है। इन दो महीनों में नई मांग और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। अक्टूबर और नवम्बर महीने में पीएमआई में उछाल आने से यह अनुमान लगाया जा रहा कि चालू वित्त वर्ष की दिसम्बर तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में बेहतरी आएगी।
खनन क्षेत्र में उत्पादन दर में २.८ प्रतिशत की गिरावट आने और महंगाई के मोर्चे पर उल्लेखनीय सफलता नहीं मिलने और ऋण ब्याज दरों में वृद्धि होने की वजह से कुछ अर्थशास्त्री कयास लगा रहे हैं कि भारत की वृद्धि दर आगामी तिमाहियों में और भी कम हो सकती है। दूसरी तरफ, त्योहार भारत की विविधतापूर्ण संस्कृति का परिचायक है और इस पहलू को विकास के साथ हमेशा से जोड़ा जाता रहा है। साथ ही, अगर लोगों के पास पैसा रहेगा तभी वे खर्च करेंगे। इसलिए यह कहना कि त्योहार की वजह से लोगों ने अगस्त, सितम्बर और अक्तूबर महीने में खर्च किया या फिर इस अवधि के दौरान मांग में वृद्धि हुई या फिर निवेश में इजाफा हुआ गलत होगा।
सितम्बर और अक्टूबर २०२२ के आंकड़ों के अनुसार वेतन वाली नौकरियां कोरोना महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच गई हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि नवम्बर और दिसम्बर महीने में इसमें और भी सुधार होगा। शहरी क्षेत्र में सितम्बर महीने में २१.४ लाख और अक्टूबर महीने में २२.६ लाख रोजगार सृजित हुए। हालांकि, इन महीनों के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार में गिरावट दर्ज की गई, लेकिन चालू वित्त वर्ष की सितम्बर तिमाही में कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में स्थिर मूल्य पर ४.६ प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई, जो पिछली तिमाही से अधिक है से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के क्षेत्र में बेहतरी आने की संभावना बढ़ी है।
कृषि क्षेत्र में ताजा वृद्धि मुख्य रूप से कृषि संबंधी गतिविधियों में तेजी आने की वजह से संभव हुई है, क्योंकि इन महीनों में फसल की कटाई की गतिविधियां कम हुई हैं। यह सकारात्मक संकेत है। जीडीपी वृद्धि वित्त वर्ष २०२३ में ७.०० प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है और उम्मीद है कि भारत आसानी से इस लक्ष्य को हासिल कर लेगा। अभी दुनिया के देशों में अनिश्चितता का माहौल है। महंगाई और विकास की सुस्त वृद्धि दर से विकसित देशों समेत दुनिया भर के अधिकांश देश मंदी की ओर बढ़ रहे हैं, जबकि भारत मजबूती से विकास की दिशा में अग्रसर है।

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top